06 जिल हज्ज 1444 हिजरी
इतवार, 25 जून 2023
अकवाले जरीं‘तुम कलौंजी को इस्तेमाल करो, क्योंकि इसमें मौत के अलावा हर बीमारी से शिफा मौजूद है।’
- बुखारी शरीफ
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काहिरा : आईएनएस, इंडियामिस्र में सारी जिंदगी गदागरी (भीख मांग कर) गुजारा करने वाली खातून के मरने के बाद इन्किशाफ (खुलासा) हुआ कि वो लाखपति थी। अहल इलाका ने बूढ़ी गदागर खातून को चंदा करके दफनाया था। चंद रोज बाद उसके घर में मौजूद डिब्बों से दस लाख मिस्री पौंड बरामद हुए। खबर के मुताबिक मिस्र के जुनूबी इलाके की कन्ना कमिशनरी के एक अलोकफ शहर में बूढ़ी खातून खीरिया अली अब्दुल जलील, इलाके में गदागरी करके गुजरबसर करती थी, के बारे में इलाके के लोगों को मालूम हुआ कि वो मर गई है। मरने की इत्तिला मिलने पर उसके रिश्तेदारों को जमा किया गया, जो खुद भी मफ़्लूक-उल-हाल थे, जिस पर इलाके के लोगों ने चंदा जमा करके उसकी तदफीन कर दी। इलाके के लोग उस वक़्त हैरान रह गए, जब गदागर खातून के मरने के तकरीबन दस दिन बाद घर को खाली करके उसकी सफाई की गई, वहां बेशुमार प्लास्टिक के डिब्बे मिले जिनमें हजारों की तादाद में सिक्के और छोटे-बड़े नोट थे। घर से बरामद होने वाली रकम को जब गिना गया तो वो दस लाख मिस्री पौंड से ज्यादा थी। इलाके के लोगों ने तमाम रकम गदागर खातून के अहिल-ए-खाना में तकसीम कर दी, जिनमें उसकी तीन बहनें और एक भाई था। लोग इस बात पर हैरान थे कि उसने सारी जिंदगी कसमपुर्सी में बसर की और भीख मांग कर अपना गुजारा करती थी मगर वो हकीकत में लखपति थी। लखपति होने के बावजूद उसने कभी अच्छी जिंदगी नहीं गुजारी। अच्छा खाना नहीं खाया और न अच्छा लिबास पहना। अब उसके मरने के बाद उसके घर से मिले दस लाख मिस्री पौंड उसके विरसा में तकसीम कर दिए गए हैं।