20 शव्वालुल मुकर्रम 1444 हिजरी
जुमेरात, 11 मई, 2023
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मकबूजा बैतुल-मुकद्दस : आईएनएस, इंडिया इसराईल ने कहा है कि सऊदी अरब के लिए बराह-ए-रास्त हज परवाजें (उड़ान) शुरू करने के बारे में मुशावरत जारी है। अगर ये इमकान अमली शक्ल इखतियार कर गया तो ये सऊदी अरब और इसराईल के माबैन (बीच) मामूल के ताल्लुकात के कयाम की तरफ एक बड़ा कदम होगा। यरूशलम से बुध तीन मई के रोज मिलने वाली रिपोर्टों में बताया गया कि इसराईल ने इस उम्मीद का इजहार भी किया है कि सऊदी हुक्काम हज की नीयत से सऊदी अरब जाने के खाहिशमंद मुस्लमानों को लाने वाली इसराईली फिजाई कंपनियों की परवाजों को अपने यहां उतरने की इजाजत दे देंगे। इसराईल ने ये बात इस तनाजुर (संदर्भ) में कही है कि दुनिया-भर से लाखों की तादाद में मुस्लमान हज के मजहबी फरीजे की अदायगी के लिए अगले माह सऊदी अरब जाएंगे। इन हुज्जाज में हर साल इसराईल से सऊदी अरब जानेवाले अरब मुस्लिम शहरियों की बड़ी तादाद भी शामिल होती है। इसराईल ने 2020 में अमरीका की कोशिशों के नतीजे में खलीजी अरब रियास्तों, मुत्तहदा अरब अमीरात और बहरीन के साथ-साथ चंद दीगर मुस्लिम अक्सरीयती ममालिक के साथ भी बाकायदा दो तरफा ताल्लुकात कायम करने का जो मुआहिदा किया था, उस पर अमल दरआमद सऊदी अरब की खामोश सियासी रजामंदी के साथ ही मुम्किन हो सका था। लेकिन इस पेश-रफ़्त के बाद खुद सऊदी अरब ने अभी तक इसराईल के साथ बाहमी ताल्लुकात के कयाम और इसराईल के रियास्ती वजूद को बाजाबता तौर पर तस्लीम करने का कोई हतमी (अंतिम) फैसला इसलिए नहीं किया कि रियाद हुकूमत के मुताबिक ऐसी किसी भी पेशरफत से कबल फलस्तीनीयों की अपनी एक आजाद और खुद-मुख़्तार रियासत फलस्तीन के कियाम का मसला हल किया जाना चाहिए। और वो ये कि सऊदी अरब मुम्किना तौर पर जल्द ही इसराईल के साथ बाकायदा रवाबित कायम कर लेगा, इस इमकान को खित्ते में दो तरह की पेश-रफ़्त से कदरे नुक़्सान पहुंचा है। उनमें से एक तो रियाद हुकूमत के अमरीकी सदर जो बाईडन की इंतिजामीया के साथ ताल्लुकात हैं और दूसरी ईरान और सऊदी अरब के माबैन होने वाली हालिया पेश-रफ़्त। ईरान, इसराईल का बड़ा हरीफ (विरोधी) मुल्क है और माजी में सऊदी अरब और ईरान के ताल्लुकात भी बहुत ही कशीदा रहे हैं। लेकिन अभी हाल ही में चीन की कोशिशों के नतीजे में ईरान और सऊदी अरब ने अपने रवाबित में बेहतरी के लिए जिस इत्तिफाक राय का इजहार किया है, उससे इसराईल भी नाखुश है।