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अमेरिका की तारीख में पहली बार न्यूयार्क के टाईम स्क्वायर पर पढ़ी गई नमाज

7 रमजान-उल मुबारक, 1444 हिजरी
जुमेरात, 30 मार्च, 2023
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अमेरिका की तारीख में पहली बार न्यूयार्क के टाईम स्क्वायर पर पढ़ी गई नमाज

न्यूयार्क :
तारीख में पहली बार मुसलमानों ने न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर पर तरावीह अदा की। न सिर्फ तरावीह अदा की बल्कि रोजा इफ्तार भी किया। रोजा अफ्तार के लिए मुंतजमीन ने खाने के 1500 पैकेट बांटे। नमाज के लिए हजारों की तादाद में मुस्लिम टाईम स्क्वायर पर जुटे थे। हालांकि बाद में सड़क पर नमाज पढ़ने को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कई लोग टाइम्स स्क्वायर पर नमाज पढ़ने की हिमायत कर रहे हैं, तो कई इसकी मुखालफत भी कर रहे हैं। 

अमेरिका की तारीख में पहली बार न्यूयार्क के टाईम स्क्वायर पर पढ़ी गई नमाज

इस्लाम अमन का मजहब

एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की तारीख में ऐसा पहली बार हुआ है, जब मुस्लिमों ने टाइम्स स्क्वायर जैसी मशहूर जगह पर नमाज अदा की हो। इस प्रोग्राम के मुंतजमीन ने बताया कि अमेरिका में रह रहे मुस्लिम चाहते थे कि रमजान न्यूयॉर्क सिटी के इस खास जगह पर मनाया जाए और लोगों को यह मैसेज दिया जाए कि इस्लाम अमन पसंद मजहब है। मुंतजमीन के मुताबिक इस्लाम को लेकर दुनिया में कई गलत फहमियां हैं। 

अमेरिका की तारीख में पहली बार न्यूयार्क के टाईम स्क्वायर पर पढ़ी गई नमाज

मशहूर टूरिस्ट स्पॉट है टाइम्स स्क्वॉयर

गौरतलब है कि टाइम्स स्क्वॉर अमेरिका के खासे अहमियत का बिजनेस एरिया है। यह टूरिस्टों के बीच भी काफी मशहूर है। यह न्यूयॉर्क का सबसे पॉपुलर टूरिस्ट स्पॉट है जहां हर साल करीब 5 करोड़ लोग महज तफरीह के लिए आते हैं। 

अमेरिका की तारीख में पहली बार न्यूयार्क के टाईम स्क्वायर पर पढ़ी गई नमाज

प्रोग्राम का मकसद

मुंतजमीन के मुताबिक प्रोग्राम के पीछे हमारा मकसद, उन लोगों को अपने मजहब के बारे में बताना था, जिन्हें इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है। हम बताना चाहते हैं कि इस्लाम अमन का पैगाम देने वाला मजहब है। मौजूदा दौर में इस्लाम को लेकर लोगों के मन में कई गलतफहमियां है। मुंतजमीन ने कहा, हर मजहब में अच्छे-बुरे सभी तरह के लोग होते हैं, लेकिन कुछ लोगों को देखकर उनके मजहब के अच्छा या बुरा होने का अंदाजा नहीं लगाया जाना चाहिए। 

    मुंतजमीन ने कहा, रमजान इस्लामिक कैलेंडर का 9वां महीना है। इस दौरान मुस्लिम मआशरे के लोग रोजा रखते हैं। इस दौरान अमन और खुशहाली के लिए दुआ की जाती है। जरूरतमंदों की मदद की जाती है। भूखों को खाना खिलाया जाता है। प्रोग्राम के इंतेजाम के पीछे हमारा मकसद यही था कि हम बता सकें कि इस्लाम सही मायनों में क्या है और किस तरह यह मजहब अमन का पैगाम देता है। हालांकि कुछ लोगों ने इस प्रोग्राम पर सवाल उठाए हैं। 

    दूसरी ओर कुछ लोग सड़क पर नमाज पढ़ने को लेकर मुुंतजमीन (आयोजकों) की तनकीद भी कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर सक्रिय हसन सजवानी ने कहा, सड़क पर नमाज पढ़ने से लोगों को दिक्कत होती है। अकेले न्यूयॉर्क में 270 से ज्यादा मस्जिदें हैं, जो नमाज के लिए सबसे अच्छी जगह हैं। मजहब की नुमाईश करने के लिए लोगों का रास्ता रोकने की कोई जरूरत नहीं है। ये वो रास्ता नहीं है, जो इस्लाम हमें सिखाता है।
    एक दीगर यूजर ने लिखा, मैं एक मुसलमान हूं, लेकिन टाइम्स स्क्वायर पर नमाज पढ़ने की हिमायत नहीं करता। यह गलत पैगाम दे सकता है कि इस्लाम हमलावर या घुसपैठ करने वाला है। इसलिए मस्जिदों में ही नमाज पढ़ें।  



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