नई तहरीक : दुर्ग
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के बघेरा स्थित आनंद सरोवर में निराकार परमपिता परमात्मा शिव का अलौकिक जन्मदिन मनाया गया। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी संस्थान की क्षेत्रीय निर्देशिका बीके हेमलता दीदी द्वारा शिव ध्वजारोहण किया गया जिसमें आसपास के शहरी व ग्रामीण अंचल से अनेक धर्म प्रेमी उपस्थित हुए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हेमलता दीदी ने कहा, नव सृष्टि के रचयिता, नव जीवन दाता, प्राण प्यारे शिव पिता को इस सृष्टि में अवतरित हुए 87 वर्ष पूर्ण होने जा रहा है। इस अवसर पर हम यहां 87 वीं त्रिमूर्ति शिव जयंती मनाने उपस्थित हुए हैं। उन्होंने कहा, चूंकि निराकार परमात्मा का अपना कोई शरीर नहीं है।
निराकार, परमात्मा साधारण मानव तन में प्रवेश कर उनका दिव्य नाम देते हैं। प्रजापिता ब्रह्मा और यह ज्ञान उनके ही मुख कमल द्वारा दिया गया है। परमात्मा जो सर्व मनुष्य आत्माओं के पिता हैं। इस समय सर्व मनुष्य आत्माओं को दु:ख, अशांति से मुक्त कर सुख शांति का अखंड व अविनाशी राज्य भाग्य देने इस सृष्टि पर अवतरित हुए हैं। जैसे परमात्मा के दिव्य कर्तव्य का हमें पता है, वैसे ही हमें सभी मनुष्य आत्माओं को परमात्मा के इस कर्तव्य को बताना है ताकि कोई भी मनुष्य आत्माएं, परमात्मा पिता के अविनाशी राज्य भाग्य जो देने आए हैं, उससे वंचित न रह जाए, इसलिए परमात्मा की यादगार की अनुपम द्वादश ज्योतिर्लिंग की यहां झांकी लगाई गई है जिससे परमात्मा के दिव्य कर्तव्य को सभी जान जाएं कि निराकार परमात्मा ही हम सर्व मनुष्य आत्माओं के पिता हैं। दैहिक रूप में भले ही हम भिन्न-भिन्न जाति, धर्म, भाषा में बंटे हुए हैं किंतु देह तो विनाशी है। देह को संचालित करने वाली चैतन्य आत्मा चाहे वह किसी भी जाति, धर्म व देश में निवास करता है, सभी के देह में एक चैतन्य आत्मा है तो सर्व मनुष्य आत्माओं के पित।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के बघेरा स्थित आनंद सरोवर में निराकार परमपिता परमात्मा शिव का अलौकिक जन्मदिन मनाया गया। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी संस्थान की क्षेत्रीय निर्देशिका बीके हेमलता दीदी द्वारा शिव ध्वजारोहण किया गया जिसमें आसपास के शहरी व ग्रामीण अंचल से अनेक धर्म प्रेमी उपस्थित हुए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हेमलता दीदी ने कहा, नव सृष्टि के रचयिता, नव जीवन दाता, प्राण प्यारे शिव पिता को इस सृष्टि में अवतरित हुए 87 वर्ष पूर्ण होने जा रहा है। इस अवसर पर हम यहां 87 वीं त्रिमूर्ति शिव जयंती मनाने उपस्थित हुए हैं। उन्होंने कहा, चूंकि निराकार परमात्मा का अपना कोई शरीर नहीं है।
निराकार, परमात्मा साधारण मानव तन में प्रवेश कर उनका दिव्य नाम देते हैं। प्रजापिता ब्रह्मा और यह ज्ञान उनके ही मुख कमल द्वारा दिया गया है। परमात्मा जो सर्व मनुष्य आत्माओं के पिता हैं। इस समय सर्व मनुष्य आत्माओं को दु:ख, अशांति से मुक्त कर सुख शांति का अखंड व अविनाशी राज्य भाग्य देने इस सृष्टि पर अवतरित हुए हैं। जैसे परमात्मा के दिव्य कर्तव्य का हमें पता है, वैसे ही हमें सभी मनुष्य आत्माओं को परमात्मा के इस कर्तव्य को बताना है ताकि कोई भी मनुष्य आत्माएं, परमात्मा पिता के अविनाशी राज्य भाग्य जो देने आए हैं, उससे वंचित न रह जाए, इसलिए परमात्मा की यादगार की अनुपम द्वादश ज्योतिर्लिंग की यहां झांकी लगाई गई है जिससे परमात्मा के दिव्य कर्तव्य को सभी जान जाएं कि निराकार परमात्मा ही हम सर्व मनुष्य आत्माओं के पिता हैं। दैहिक रूप में भले ही हम भिन्न-भिन्न जाति, धर्म, भाषा में बंटे हुए हैं किंतु देह तो विनाशी है। देह को संचालित करने वाली चैतन्य आत्मा चाहे वह किसी भी जाति, धर्म व देश में निवास करता है, सभी के देह में एक चैतन्य आत्मा है तो सर्व मनुष्य आत्माओं के पित।