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विश्व मानव अधिकार दिवस पर नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुती


नई तहरीक : दुर्ग

स्वागत है उस देश में, जहॉं नारियों के साथ अत्याचार किया जाता है, स्वागत है उस देश में, जहॉं नेता अपने वादे नहीं निभाते। स्वागत है उस देश में, जहॉं इंसान को जातियों के नाम से बांटा जाता है, कमजोर को दबाया जाता है, लड़कियों को समझौते करने के लिये कहा जाता है, की आवाज से स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय प्रांगण गूंज उठा। 

मौका था, विश्व मानव अधिकार दिवस के अवसर पर वाणिज्य विभाग एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वावधान में प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक का, जिसका विषय था ‘हमारे अधिकार’ 


कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम प्रभारी सहायक प्राध्यापक जीनत सुल्ताना ने कहा, इस वर्ष मानव अधिकार का विषय ‘सभी के लिये गरिमा, स्वतंत्रता और न्याय’ है। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को विचार करने के लिये प्रेरित करना चाहते हैं, अभी तक इन मूल लक्ष्यों को हासिल करने में क्या कठिनाईयां आ रही है और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा, लोगों को जागरुक करने के लिये नाटक सबसे श्रेष्ठ विधा है।

महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारिणी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा ने कहा, विश्व मानव अधिकार दिवस का मूल उद्देश्य नस्ल, रंग, लिंग भाषा, विकलांगता, भौगौलिक, सामाजिक स्थिति, धर्म आदि के विभेद से मुक्त समानता की स्थापना करना है।

प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने वाणिज्य विभाग एवं राष्ट्रीय सेवा योजना की सराहना करते हुए कहा, नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को जागरुक कर देश में व्याप्त भेदभाव को दूर कर करने व समानता की भावना विकसित कर सकते हंै। उपप्राचार्य डॉ. अजरा हुसेन ने विद्यार्थियों के अभिनय की सराहना करते हुए कहा, लोगों को जागरुक करने के लिए विद्यार्थियों की पहल बहुत अच्छी है।

दी नाटक की जीवंत प्रस्तुति 

बीकॉम द्वितीय वर्ष की नेहा राय, पल्लवी वर्मा एवं दीक्षा कर्मकार तथा बीकॉम प्रथम वर्ष की योगिता संगा, लाक्ष्ती हिद्यु, विनम्रता दुग्गा, नवाज खान, हिमांशु सेन, जागृति साहू ने ‘हमारे अधिकार’ विषय पर नाट्य प्रस्तुती देते हुए भारतीय संविधान में प्रदत्त मूल अधिकारों के बारे में जानकारी दी। साथ ही समाज में व्याप्त भेदभाव को भी दर्शाया। नाटक के माध्यम से उन्होंने कहा, ईश्वर ने हमें समान बनाया है, कोई भेदभाव नहीं किया है। धर्म, रंग, लिंग, जाति के आधार पर हमें भेदभाव नहीं करना चाहिये। ईश्वर ने जब हमें एक रुप, रंग, खून, आकार दिया है तब कोई ऊँजी जाति, कोई छोटी जाति का कैसे हो सकता है। महिलाओं को भी आगे पढ़ने अपने कैरियर बनाने का अधिकार हैं। केवल लड़की होने के आधार पर उसे पढ़ने से नहीं रोक सकते।

अधिकारों की दी जानकारी

नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से स्टूडेंट्Þस ने सामाजिक भेदभाव पर व्यंग्य करते हुए किसी के छूने मात्र से किसी के अपवित्र या अशुद्ध हो जाने पर अचरज व्यक्त किया गया। नाटक के माध्यम से संविधान में भारतीय नागरिकों को दिए गए समानता, स्वतंत्रता, संस्कृति और शिक्षा के अलावा शोषण के खिलाफ अधिकारों की जानकारी दी गई। लोगों को अधिकारों की रक्षा के लिए जागरुक रहने का संदेश दिया। विद्यार्थियों ने महाविद्यालय प्रांगण सहित रेल्वे स्टेशन, श्रीराम चौक हुडको में नाटक की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम को सफल बनाने में राष्ट्रीय सेवा योजना प्रभारी संयुक्ता पाढ़ी, स.प्रा. शर्मिला शामल, निधि पाण्डेय, विभागाध्यक्ष वाणिज्य, हितेश कुमार सोनवानी अंग्रेजी विभाग ने विषेष सहयोग किया। 


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