रियाद : गुजिशता माह अफ़्गानिस्तान के शहर से हज के लिए साईकल पर निकलने वाला शहरी सऊदी अरब पहुंच गया है। रिपोर्ट के मुताबिक गजनी सूबे से ताल्लुक रखने वाले नूर मुहम्मद नामी अफ़्गान शहरी मई के अवाइल (शुरुआत) में उस वक़्त सोशल मीडीया पर नमूदार हुए, जब वो साईकल पर मक्का के लिए रवाना हुए थे। सोशल मीडीया पोस्ट में बताया गया था कि उन्होंने पूरी मंसूबा बंदी कर रखी है कि छ: हजार किलोमीटर का सफर साईकल पर करते हुए जुलाई में मक्का पहुँचेंगे और हज अदा करेंगे।
अभी नूर मुहम्मद अफ़्गानिस्तान में ही थे कि तालिबान के एक रहनुमा ने उन्हें ढूंढ कर पेशकश की थी कि वो उन्हें जहाज का टिकट लेकर देते हैं, मगर 48 साला नूर मुहम्मद ने इनकार करते हुए कहा था कि वो ये मुकद्दस सफर खुद करना चाहते हैं। ताहम उन्हें मालूम नहीं था कि उन्हें मदद की जरूरत पड़ने वाली है। वो तीन हफ़्ते बाद साईकल पर ईरान तक तो पहुंच गए लेकिन वहां फंस कर रह गए क्योंकि वहां से उन्हें इराक का वीजा हासिल करने में मुश्किलात का सामना करना पड़ा। नूर मुहम्मद ने अरब न्यूज को बताया कि 'मेरे दोस्तों ने वाअदा किया था कि वो ईरान में इराक का वीजा दिलवा देंगे, मैंने कुवैत का वीजा हासिल करने की भी कोशिश की ताहम कोई फायदा नहीं हुआ। जब उन्हें एहसास हुआ कि वो फंस गए हैं, तो उन्होंने इसी स्कॉलर से राबिता करने का फैसला किया जिन्होंने टिकट की पेशकश की थी। नूर मोहम्मद ने कहा, मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था। मैंने वाट्स एप्प पर शेख हमासी से राबिता किया, उन्होंने मेरा राबिता एक अफ़्गान बिजनेसमैन से करवाया जिन्होंने मेरे ईरान में कियाम में मदद दी और वापिस काबुल भिजवाया। काबुल पहुंचने के बाद नूर मुहम्मद को जल्द ही हज की तैयारीयों के लिए होने वाले प्रोग्राम में शामिल कर लिया गया, जहां हुकूमती हुक्काम ने उनकी रवानगी के हवाले से इंतिजामात किए। मुबय्यना तौर पर उनकी परवाज का इंतिजाम काइम मकाम वजीर-ए-दाखिला सिराज उद्दीन हक़्कानी ने करवाया जो सीनीयर तालिबान रहनुमा अनस हकामी के करीबी साथी हैं। नूर मुहम्मद ने रवानगी से चंद रोज कब्ल बताया था कि वजारत ने उनके प्रोॅसेॅस को तेजी से मुकम्मल किया था। वजारत हज और मजहबी उमूर के ओहदेदार इसरार-उल-हक का कहना है कि उनका नाम पहली परवाज में डाला गया था, उन्होंने जद्दा का सफर किया और मक्का में अफ़्गान हाजियों के साथ मिल जाऐंगे। नूर मुहम्मद पिछले हफ़्ते इन दिनों में हज के लिए रवानगी की तैयारी कर रहे थे, जब अफ़्गानिस्तान में तबाहकुन जलजला आया जिससे एक हजार एक सौ पच्चास अफराद हलाक हुए। नूर मुहम्मद का कहना है कि उन्होंने पहले भी जलजला मुतास्सिरीन के लिए दुआएं कीं और मक्का पहुंच कर भी उन्हें दुआओं में याद रखेंगे। मक्का पहुंचते ही मैं दुआ मांगूंगा कि अल्लाह अफ़्गानों के तमाम मसाइल हल करे।