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मुल्क के मौजूदा हालात, जिम्मेदार कौन, मजलूम कौन और ठीकरा किस के सर


 - एम डब्ल्यू अंसारी, (आईपीएस, रिटायर्ड डीजीपी)

हमारे मुल्क भारत की दुनिया में अलग पहचान है। भारत में कई मजाहिब के लोग बहुत ही अमन-ओ-अमान के साथ रहते हैं। एक दूसरे के मजहब की, जजबात की कद्र करते हैं। इस तरह तकरीबन 135 करोड़ की आबादी वाला देश दिन दूनी, रात चौगुनी तरक़्की कर रहा है लेकिन गुजिश्ता कुछ अरसे से हमारा मुल्क बुरी नजर का शिकार हो गया है। भारत में सदियों पुरानी रिवायत,अमन-ओ-अमान और साझी विरासत को खत्म करने की कोशिशें की जा रही हैं। भारतवासियों को मजहब और जात-पात के नाम पर लड़ाया जा रहा है। ''हिंदू-मुस्लिम लड़ेंगे और लड़ाए जाएंगे तो जात पात का बोल-बाला रहेगा, और मुल्क मुखालिफ ताकतें मजबूत होंगी। बरसर-ए-इकतिदार लोग मजबूत होंगे। 

आज जिस तरह बिहार, राजिस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली में रामनवमी और दीगर मजहबी जलूस के नाम पर समाज को आपस में लड़ाने का काम किया गया, हुकूमतें अपनी जिम्मेदारी भूल कर यकतरफा कार्रवाई कर रही है, जिन पर जुल्म हुए कार्रवाई भी उन्हीं पर हुई, इस तरह मुल्क को हर लिहाज से कमजोर किया जा रहा है। अवाम को असल मुद्दों रोजगार, महंगाई, सेहत और तमाम मसला व मसाइल से भटकाने का काम किया जा रहा है। 

ऐसे-ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई कि इन्सानियत भी शर्मसार हो जाएगी। उनमें कुछ ऐसे लोग भी शामिल हैं जिन पर पत्थर फेंकने का इल्जाम है, जो दोनों हाथ से माजूर हैं। उसके साथ ही ऐसे लोगों पर कार्रवाई हुई जो घर से बाहर हैं, अस्पताल में हैं। 

मुसलमानों के मकान ही नहीं, मस्जिद तक पर बुलडोजर चलाया गया, यह कहकर कि यह बेजा कब्जे में है। हालांकि सरकारी अमले का मंसूबा बेजा कब्जे पर बुलडोजर चलाना नहीं था। उनके टार्गेट में सिर्फ मुसलमान था। गरीब का दूकान जला दिया जाता है। वहीं करीब की 47 सिटी की दूकानें बच जाती हैं। यहां तक कि वजीर-ए-आजम आवास योजना के तहत बने मकान को भी तोड़ दिया गया, क्योंकि वहां एक मुस्लिम बेवा रहती थी।  



मौजूदा सियासी हालात व हुक्मरानी पर नजर डालें तो चंद सूबों को छोड़कर बाकी रियासतों में बीजेपी बरसरे इकतिदार है। जहां, जिस तरह का तर्ज़-ए-अमल हुकूमत इखतियार कर रही है, उस से साफ जाहिर होता है कि वो फिरकावाराना मुनाफिरत फैलाने की कोशिश कर रही है। कभी ''लव जिहाद' कभी ''हिजाब जिहाद' तो कभी ''इकतिसादी जिहाद'' को उछाला जाता है। 

इंतिहापसंद अनासिर के जरीये जुल्म भी एक खास तबका दलित और गरीब पर किया जा रहा है। और मुकद्दमा भी उन्हीं के खिलाफ दर्ज होता है। जेल में भी उन्हीं को डाला जाता है। इंतिहापसंद उनको उकसाने, वरगलाने की हर मुम्किन कोशिशें कर रहे हैं। मजलूम तबका अगर अपने दिफा में कुछ भी इकदामात करेगा, तो उसके खिलाफ देशद्रोही, पत्थर बाज, जिहादी, मुल्क और समाज का दुश्मन करार देते हुए कार्रवाई कर दी जाती है। 

मुल्क की कमजोर अवाम और हर उस शख़्स का मुँह बंद करने का ये आसान तरीका है कि लोगों को आपस में लड़ा दो या उस के खिलाफ जो आवाज बुलंद कर रहे हैं, उन्हें कुचल दो। दूसरी जानिब दीगर बरसर-ए-इक्तदार पार्टियां खामोश है। आखिर ये कब तक चलेगा, अपने अलावा समाज और मुल्क के बचाव में वो तमाम सैकूलर पार्टियां,आर्गेनाईजेशन कब खड़े होंगें, खामोश क्यों है, क्या राज है, आवाज क्यों नहीं बुलंद कर रहे, है । इतना खौफ और सन्नाटा क्यों तारी है। 

मजलूमों का दानिश्वर तबका चाहे वो हिंदू हों या मुस्लिम, उन्हें आगे आकर सरकार से सीधे बातचीत कर हल निकालना चाहिए। प्लान करना चाहिए कि इन हालात से समाज को, देश को कैसे बचाया जाए। 


बेनजीर अंसारी एजूकेशनल एंड सोशल वेल्फेयर सोसाइटी
अहमदाबाद पैलेस रोड, भोपाल
(ये मुसन्निफ के अपने ख्याल हैं)


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