नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
मीडीया रिपोर्ट के मुताबिक आला तालीम में शेड्यूल कास्ट, शेडयूल ट्राईब्स और दीगर पसमांदा तबकात (ओबीसी) के दाखिले में बिलतर्तीब 4.2 फीसद, 11.9 फीसद और 4 फीसद का इजाफा हुआ है, जबकि मुस्लिम कम्यूनिटी में 8 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। आॅल इंडिया सर्वे आन हाइर एजूकेशन (एआईएसई) 2020-21 में ये जानकारी सामने आई है। एक अखबार ने इस सर्वे के हवाले से एक रिपोर्ट शाइआ की है, जिसको दी वायर ने भी अपने यहां जगह दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये गैरमामूली गिरावट जुजवी (आंशिक) तौर पर कोविड की वबा की वजह से कम्यूनिटी की इकतिसादी (आर्थिक) बदहाली की तरफ इशारा करती है, जो उसकेब सलाहीयत स्टूडेंट को गे्रजूएशन की सतह पर तालीम शुरू करने के बजाय रोजगार की तलाश के अमल में शामिल होने को मजबूर करती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उतर प्रदेश में जहां मुस्लमानों की आबादी तकरीबन 20 फीसद है, वहां 36 फीसद की गिरावट के साथ सबसे खराब कारकर्दगी का मुजाहरा देखने को मिला है। उसके बाद जम्मू-ओ-कश्मीर में 26 फीसद, महाराष्ट्र में 8.5 फीसद और तमिलनाडू में 8.1 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपी में मुस्लमानों के दाखिले की शरह (दर) महज 4.5 फीसद है, हालाँकि रियासत में साल के दौरान कॉलिजों की तादाद में नुमायां इजाफा हुआ है।
मीडीया रिपोर्ट के मुताबिक आला तालीम में शेड्यूल कास्ट, शेडयूल ट्राईब्स और दीगर पसमांदा तबकात (ओबीसी) के दाखिले में बिलतर्तीब 4.2 फीसद, 11.9 फीसद और 4 फीसद का इजाफा हुआ है, जबकि मुस्लिम कम्यूनिटी में 8 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। आॅल इंडिया सर्वे आन हाइर एजूकेशन (एआईएसई) 2020-21 में ये जानकारी सामने आई है। एक अखबार ने इस सर्वे के हवाले से एक रिपोर्ट शाइआ की है, जिसको दी वायर ने भी अपने यहां जगह दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये गैरमामूली गिरावट जुजवी (आंशिक) तौर पर कोविड की वबा की वजह से कम्यूनिटी की इकतिसादी (आर्थिक) बदहाली की तरफ इशारा करती है, जो उसकेब सलाहीयत स्टूडेंट को गे्रजूएशन की सतह पर तालीम शुरू करने के बजाय रोजगार की तलाश के अमल में शामिल होने को मजबूर करती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उतर प्रदेश में जहां मुस्लमानों की आबादी तकरीबन 20 फीसद है, वहां 36 फीसद की गिरावट के साथ सबसे खराब कारकर्दगी का मुजाहरा देखने को मिला है। उसके बाद जम्मू-ओ-कश्मीर में 26 फीसद, महाराष्ट्र में 8.5 फीसद और तमिलनाडू में 8.1 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपी में मुस्लमानों के दाखिले की शरह (दर) महज 4.5 फीसद है, हालाँकि रियासत में साल के दौरान कॉलिजों की तादाद में नुमायां इजाफा हुआ है।