2 जीअकादा 1444 हिजरी
मंगल, 23 मई, 2023
अकवाले जरीं
हजरत अब्दुल्लाह बिन बुरैदा (रदि अल्लाहो अन्हो) रिवायत करते हैं कि उनके वालिद ने बयान किया कि रसूल अल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) ने इर्शाद फरमाया, हमारे और कुफ्फार के दरमियान पहचान नमाज है, लेहाजा जिसने नमाज को तर्क किया, उसने कुफ्र किया
- इब्ने माजा
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नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया पिछले दो दिनों से सोशल मीडीया पर बाअज लोग ये अफ़्वाह फैला रहे हैं कि वजारात-ए-तलीम, हकूमत-ए-हिन्द, कौमी उर्दू काउंसिल को बंद करने जा रही है। ये सिलसिला दरअसल काउंसिल के एक हालिया ऐलान के बाद शुरू हुआ है, जिसमें ये कहा गया है कि इस साल ग्रान्ट्स स्कीमों के लिए नई दरखास्तें नहीं ली जाएंगी। ये ऐलान इसलिए किया गया है कि पिछले साल आने वाली दरखास्तों पर गवर्निंग काउंसिल ना होने की वजह से अमल दरआमद नहीं हो सका था, ऐसे में नए माली साल में दरखास्तें तलब करने का कोई जवाज नहीं बनता है, इसीलिए काउंसिल ने ये नोटीफिकेशन जारी की है। इस पूरे मुआमला पर बजात-ए-खुद काउंसिल के डायरेक्टर प्रोफेसर शेख अकील अहमद ने वजाहत पेश की है और कहा है कि काउंसिल को बंद किए जाने की खबरें सरासर बे-बुनियाद हैं, ना काउंसिल बंद हो रही है, ना उसकी सरगर्मियों पर कोई बंदिश लगाई जा रही है। उन्होंने कहा कि ग्रान्ट्स स्कीम के तहत सिर्फ पाँच से छ: करोड़ रुपय खर्च होते हैं। अगर ग्रान्ट्स स्कीम किसी वजह से बंद भी हो जाएगी तो इसका मतलब ये हरगिज नहीं है कि एनसीपीयूएल बंद हो जाएगी। उन्होंने बताया कि इस साल भी हुकूमत की तरफ से पिछले साल से दस फीसद ज्यादा ग्रान्ट्स मिले हैं। उन्होंने हकीकी सूरत-ए-हाल पर रोशनी डालते हुए बताया कि दरअसल एनसीपीयूएल की काउंसिल 4 दिसंबर 2021 से नहीं बनी है, जिसकी वजह से ना फाइनांस कमेटी और ना एगजीक्यूटिव काउंसिल की तशकील हो पाई है, क्योंकि गवर्निंग काउंसलि के मेंबरान में से ही चंद मेंबर्स को फाइनांस कमेटी और चंद मेंबर्स को ऐगजीक्यूटिव काउंसिल का मेंबर बनाया जाता है। ग्रान्ट्स और नए उर्दू, फारसी, अरबी, कम्पयूटर और कैलीग्राफी वगैरा के सेंटर्स खोलने के लिए फाइनांस कमेटी और ऐगजीक्यूटिव काउंसिल से मंजूरी लेनी पड़ती है। यहां तक कि एनसीपीयूएल के डायरेक्टर को भी एगजैक्टिव काउंसिल ही तीन साल के लिए इख़्तयारात तफवीज करती है, इसके बाद ही डायरेक्टर एनसीपीयूएल के तमाम उमूर अंजाम देता है। उन्होंने ये भी वाजिह किया कि इस साल जो दरखास्तें हम नहीं ले पा रहे हैं, उनको अगले साल मौका देंगे। यानी थोक खरीदारी के लिए अगले साल 2022-2023 और 2024 मैं शाइआ करदा किताबों को मंजूर करने की कोशिश की जाएगी, ताकि पिछले साल शाइआशुदा किताबों के मुसन्निफीन को नुक़्सान ना हो।