2 जीअकादा 1444 हिजरी
मंगल, 23 मई, 2023
अकवाले जरीं
हजरत अब्दुल्लाह बिन बुरैदा (रदि अल्लाहो अन्हो) रिवायत करते हैं कि उनके वालिद ने बयान किया कि रसूल अल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) ने इर्शाद फरमाया, हमारे और कुफ्फार के दरमियान पहचान नमाज है, लेहाजा जिसने नमाज को तर्क किया, उसने कुफ्र किया
- इब्ने माजा
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लंदन : आईएनएस, इंडिया बर्तानवी नीलाम घर ‘सूथबी’ की जानिब से गुजश्ता रोज शुरू होने वाले आलमी मुकाबले के बाद न्यूयार्क में एक नीलामी के दौरान ‘तौरेत’ का कदीम तरीन (प्राचीन, पुराना) मुकम्मल नुस्खा 38.1 मिलियन डॉलर में नीलाम हुआ। इस सिलसिले में एक वीडीयो में देखा जा सकता है कि इस नुस्खे की नीलामी का अमल 3 मिनट तक जारी रहा। इस दौरान शाम में आरामी और यूनानी जबान में लिखी हुई चीजों को हासिल करने के ख्वाहिशमंदों ने बोलियां लगाई। इसमें वो तमाम 24 किताबें भी शामिल हैं, जिनमें मूसा अलैहिस्सलाम की पहली पाँच किताबें और अंबिया-ए-कराम का हिस्सा भी शामिल है। ये किताब पैदाइश से शुरू होकर खत्म तारीख की किताब पर खत्म होती है। ये एक यहूदी डेविड सुलेमान सासोन हैं, जो 1942 में अपनी मौत से कब्ल 62 साल के थे। उन्होंने पुरानी किताबें जमा की थी। ये नुस्खे 1000 साल से ज्यादा कदीम (पुराने) हैं। तौरेत का नुस्खा माकसीन कस्बे की इबादत-गाह की तबाही के 500 साल से ज्यादा अरसे तक गायब रहा। बाद में माकसीन कस्बे का नाम तबदील करके मरकदा रख दिया गया था। ये शुमाल-मशरिकी (उत्तर-पूर्वी) शाम में हासाका गवर्नरी में वाके (स्थित) है। ये नुस्खा गायब होने के बाद उस वक़्त तक जाहिर नहीं हुआ, जब उसे 1929 में फरोखत ना कर दिया गया। सूथबीज में यहूदी मतन में माहिर मुहक़्किक (शोधकर्ता) शेरोन लीबरमैन के मुताबिक ये नुस्खा उस वक़्त लेबनानी शामी मूल के स्विस शहरी की मिल्कियत में रहा। तेल अबीब के म्यूजीयम आफ दी जेविश पीपल से वाबस्ता एक खैराती फाउंडेशन ने इस नुस्खे को नीलामी में खरीदा। फाउंडेशन के मुताबिक नुस्खे के स्विस मालिक अल्फ्रेड मूसा हैं, जो 1994 से 1997 तक रोमानीया में वकील और अमरीकी सफीर रह चुके हैं। नीलाम करने वाले ने कहा कि मुझे ये जान कर खुशी हुई कि ये यहूदी लोगों का है। इसकी तारीखी एहमीयत को समझना और उसे एक ऐसी जगह पर देखना मेरा मिशन था, जो सब के लिए काबिल रसाई (एप्रोचेबल) है। नुस्खे के साबिक (पूर्व) मालिक अल्फ्रेड सासोन के बाद उसका स्विस, लेबनानी मालिक जैकी सुफरा था जो 1940 में बेरूत में पैदा हुआ था। उसने इसका मुआइना करने के बाद उसे फरोखत करने का फैसला किया। उसने उसकी तहरीर की तारीख की तसदीक की थी कि ये मशहूर हलब और लेनिन ग्राड के नुस्खों से पुराना था। उसने नुस्खे को सूथबी के जरीया नीलामी के लिए पेश किया था।