12 रमजान-उल मुबारक, 1444 हिजरी
इराक में मौसमियाती तबदीली की खौफनाक सूरत-ए-हाल
बगदाद : आईएनएस, इंडिया इराक में लोग उस वक्त खौफजदा हो गए जब दिन में अचानक रात जैसा अंधेरा छा गया। इसकी वजह बगदाद में आया रेतीला तूफान था।
ये इस साल का पहला तूफान था, जिसने दिन को रात में बदल कर रख दिया था। तूफान आते ही बगदाद को एक नारंगी रंग के बड़े बादल ने ढाँप लिया था। उधर धोक गवर्नरी को बर्फ ने ढाँप लिया था जिसकी वजह से धोक गर्वनरी का टेंम्परेचर जीरो तक लुड़क गया था।
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sand storm |
ये एक सहराई इलाका है जहां ऐसा मौसमी रुजहान कई बार मर्तबा देखने में आ जाता है। खासतौर पर बहार के मौसम में कुछ इराकी इलाकों में तूफान आता ही है। इस मर्तबा इस तूफान ने खासतौर पर बगदाद की फिजाई हदूद को धूल और रेत के घने नारंगी रंग ने ढाँप लिया। एएफपी के मुताबिक तूफान की वजह से हद्द-ए-निगाह ड्रामाई तौर पर कम हो गई। धूल की तहों ने कारों और घरों को ढाँप लिया। हवाओं की वजह से ये तूफान जुमा की दोपहर मुल्क के मगरिब में अंबार गवर्नरी से बगदाद और सलाह उद्दीन गवर्नरी तक पहुंच गया।
गर्द-ओ-गुबार के बाइस सांस लेने में तकलीफ के बाइस मुतअद्दिद अफराद को हस्पतालों में दाखिल कराना पड़ा। वाजेह रहे कि 2022 के मौसम-ए-बहार के दौरान धूल के मुतवातिर तूफानों ने फिजाई ट्रैफिक को भी मफलूज करके रख दिया है। स्कूलों और इदारों के निजाम उलट-पुलट गए हैं। हजारों अफराद को दम घुटने के वाकियात का सामना करना पड़ा है। बड़ी तादाद में लोगों को हस्पतालों में दाखिल कराना पड़ा है।
माहिरीन के मुताबिक इराक में खतरनाक मौसम का ये रुजहान आने वाले दिनों में मजीद खराब हो सकता है। इराक दुनिया में मौसमियाती तबदीलीयों के मनफी (निगेटिव) असरात का सबसे ज्यादा शिकार होने वाले पांच ममालिक में से एक बन गया है। अकवाम-ए-मुत्तहिदा (संयुक्त राष्टÑ) के मुताबिक ये माहौल कम बारिश, ज्यादा दर्जा हरारत और बढ़ती सहराई सूरत-ए-हाल के बाइस पैदा हुआ है। वजारत माहौलियात के एक ओहदेदार ने बताया कि आइन्दा दो दहाईयों के दौरान मुल्क में सालाना 272 डस्ट डे सामने आने की तवक़्को है और 2050 में धूल वाले दिन 300 की हद तक पहुंच जाएंगे।
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performance of Nai Tahreek (March 2023) |
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इराकी महकमा-ए-मौसीमीयत के तर्जुमान आमिर इलजा बरी के मुताबिक गर्दो गुबार के तूफान के रुजहान में इजाफे़ की वजह खुश्कसाली, बारिशों की कमी, दरियाओं की खुश्की और दीगर अवामिल हैं। मुल्क में दरख़्तों वाला इलाका कम हो रहा है, जमीनों में खुदाई की गई है। हुक्काम धूल के इन तूफानों को रोकने के लिए शहरों के गिर्द ग्रीन बेल्ट्स बनाने की कोशिश कर रहे हैं।