22 रमजान-उल मुबारक, 1444 हिजरी
जुमा, 14 अपै्रल, 2023
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दुनिया के 500 इंतिहाई बा-असर मुस्लिम शख्सियात में थे शामिल
21 सालों से संभाल रहे थे आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदर का ओहदा
माअरूफ आलमे दीन, आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सदर मौलाना राबे हसनी नदवी का बरोज जुमेरात लंबी अलालत के बाद इंतिकाल हो गया। मौलाना 94 बरस के थे। मौलाना के इंतिकाल से आलम-ए-इस्लाम में गम की लहर दौड़ गई है और पूरा माहौल सोगवार है।
मौलाना गुजिशता 21 सालों से आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सदर थे। एक मुमताज आलमे दीन, अरबी और उर्दू जबानों में तकरीबन 30 किताबों के मुसन्निफ, आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सदर के साथ दारुल उलूम नदवतुल उलमा के नाजिम और इस्लामिक फिक़्ह अकेडमी, इंडिया के सदर थे। वो आलमी रबता अदब इस्लामी, रियाज के नायब सदर और राबिता आलिम इस्लामी के रुकन तासीसी भी थे। उनका शुमार दुनिया के 500 इंतिहाई बा-असर मुस्लिम शख्सियात में होता था।
मौलाना मुहम्मद राबे हसनी नदवी की विलादत उत्तर प्रदेश के जिÞला रायबरेली के तकियाकलां के एक मशहूर इल्मी, दीनी और दावती खानवादा में एक अक्तूबर 1929 को हुई थी। आपके वालिद का नाम सय्यद रशीद अहमद हसनी था, इबतिदाई तालीम अपने खानदानी मकतब रायबरेली में ही मुकम्मल की, इसके बाद आला तालीम के लिए दारुल उलूम नदवतुल उलमा में दाखिल हुए जहां से 1948 में फजीलत की सनद हासिल की। मौलाना ने फिक़्ह, तफसीर, हदीस और बाअज फनून की किताबें पर दस्तरस के लिए दार-उल-उलूम देवबंद में भी एक साल गुजारा।
1949 से दारुल उलूम नदवतुल उलमा में बहैसीयत मुआविन मुदर्रिस के मुलाजमत इखतियार कर ली। 1950 से 1951 के दरमयान हसूल-ए-तालीम के सिलसिले में हिजाज में भी कियाम किया। आपकी इल्मी-ओ-अदबी खिदमात के एतराफ में आपको सुबाई व कोमी एजाजात से भी नवाजा गया है। सय्यद मुहम्मद राबे हसनी नदवी की ताहाल अरबी में 15 किताबें और उर्दू में 12 किताबें शाइआ हो चुकी हैं।
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सदर हजरत मौलाना सय्यद मुहम्मद राबा हसनी नदवी का इंतिकाल मिल्लत-ए-इस्लामीया हिंद के लिए एक अजीम सानिहा है। उनके अलफाज का इजहार मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की मजलिस-ए-आमला के रुकन और वेल्फेयर पार्टी आफ इंडिया के सदर डाक्टर सय्यद कासिम रसूल इलयास ने एक प्रेस बयान में किया। डाक्टर इलयास ने कहा, इस वक़्त जबकि मुल़््क इंतिहाई नाजुक हालात से गुजर रहा है और मिल्लत-ए-इस्लामिया हिंद पर चारों तरफ से यलगार हो रही है, मौलाना का हमारे दरमयान से गुजर जाना एक सानिहा अजीम है।
बोर्ड के साबिक सदर मौलाना काजी मुजाहिद उल-इस्लाम कासिमी साहिब के इंतिकाल के बाद से मौलाना राबे साहिब बोर्ड के सदर चले आ रहे थे। आपका अचानक इंतिकाल बिलखसूस मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और बिल उमूम पूरी मिल्लत-ए-इस्लामीया हिंद के लिए एक ना-काबिल तलाफी नुक़्सान है। वहीं जमात-ए-इस्लामी हिंद यूपी मशरिक के अमीर हलका डाक्टर मलिक मुहम्मद फैसल फलाही ने मौलाना के इंतिकाल पर अपने गहरे रंज-ओ-गम का इजहार करते हुए कहा कि मौलाना शफकत-ओ-मुहब्बत, आजिजी-ओ-इनकिसारी, इत्तिहाद-ओ-इत्तिफाक और बुर्दबारी-ओ-तहम्मुल का अमली नमूना थे। लवाहिकीन से ताजियत का इजहार करते हुए अमीर हलका ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी गम की इस घड़ी में मग़्मूम अहिल-ए-खाना के साथ हैं। अल्लाह रब अलालमीन से दुआ-गो हूँ कि अल्लाह अहल-ए-खाना को सब्र जमील अता करे।
फैसल फलाही ने अपने ताजियती पैगाम में कहा कि मौलाना राबे हसनी नदवी के रुखस्त होने से जो खला पैदा हुई है, उसका नियम-उल-बदल इंतिहाई मुश्किल है। उन्होंने कहा कि आपकी सरबराही में मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहफ़्फुज के लिए जो काम हो रहे थे, वो इंतिहाई अहम थे। मुल्क की मौजूदा सूरत-ए-हाल में मौलाना का हमसे रुखस्त हो जाना, एक अजीम खसारा है।