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अफ़्गानिस्तान में स्कूली तालीम से महरूम तालिबात दीनी तालीम की तरफ गामजन

24 शाअबानुल मोअज्जम 1444 हिजरी
जुमा, 17 मार्च 2023

काबुल : आईएनएस, इंडिया 

अफ़्गानिस्तान में तालिबान के इकतिदार में आने के बाद जहां एक तरफ लड़कियों के स्कूल बंद कर दिए गए, वहीं मदरसों की तादाद में इजाफे के लिए भरपूर इकदामात किए जा रहे हैं। फ्रसीसी खबररसां इदारे एएफपी के मुताबिक स्कूल की तालीम से महरूम लड़कियां अब मदरसों में जाने पर मजबूर हो गई हैं। 
Students deprived of schooling in Afghanistan attracted to religious education
file photo
    दार-उल-हकूमत काबुल में कायम एक मदरसे की 16 साला तालिबा फरह ने बताया कि स्कूल बंद होने के बाद वो बहुत ज्यादा जहनी दबाव का शिकार हो गई थीं। फिर उसके घर वालों ने फैसला किया कि उसे कम अज कम मुदर्रिसा आना चाहिए। साईंस या लिटरेचर जैसे मजामीन पढ़ने के बजाय उन बच्चियों को सिर्फ कुरान पढ़ाया जाता है। और अगर कोई तालिबा कुरानी आयात का मतलब समझना चाहे तो उसे अलहदा से उस्ताद की खिदमात हासिल करना पड़ती है। एएफपी की टीम ने काबुल और जुनूबी शहर कंधार में तीन मदरसों का दौरा किया, जहां असातिजा ने उन्हें बताया कि गुजिश्ता साल के बाद से लड़कियों की तादाद में इजाफा हुआ है। 
    तालिबान की जानिब से लड़कियों के सेकण्डरी स्कूलों पर पाबंदी आइद करने के साथ ही फरह का मुस्तकबिल भी गैर यकीनी का शिकार हो गया था। फरह का कहना था कि हर किसी के खाब अधरे रह गए। तालिबान के अहकामात पर लड़कियों को स्कूल और यूनीवर्सिटी की तालीम से तो महरूम किया गया लेकिन दूसरी तरफ सैंकड़ों की तादाद में मदरसे खोलने का हुक्म-जारी किया गया। अफ़्गान आलमे दीन अब्दुल बारी मदनी के मुताबिक मौजूदा हालात को मद्द-ए-नजर रखते हुए जदीद तालीम की जरूरत को तर्जीह देनी चाहिए। जदीद तालीम से महरूम रखना अवाम से गद्दारी के मुतरादिफ है। जुनूबी सूबा कंधार में कायम इदारा बराए इस्लामी तालीम के सरबराह ने बताया कि हुकूमत दिन रात यही सोच रही है कि मदरसों की तादाद कैसे बढ़ाई जाए ताकि नई नसल को इस्लामी तालीम और बेहतर ट्रेनिंग के साथ उम्दा अखलाकीयात सिखाई जा सकें।

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