महिला बाल विकास विभाग अंतर्गत 50 वर्षों से कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाओं ने 13 अगस्त को अपनी मांगों को लेकर ध्यानाकर्षण प्रदर्शन किया।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सभी जिलों में कार्यरत 1 लाख से अधिक कार्यकर्ता सहायिकाओं द्वारा गरीब, निम्न एवं मध्यम परिवार तक अपनी पहुंच बनाए रखते हुए गर्भधारण से लेकर प्रसूती, गर्भवती महिला का टीकाकरण, जांच एवं डिलीवरी, आहार एवं पूरक पोषण, बच्चों का वजन एवं टीकाकरण, अनौपचारिक शिक्षा, गोद भराई, अन्न प्रासन, बाल भोज, बाल मित्र बनाना, स्व सहायता समूह बनाना, मुख्यमंत्री कन्या विवाह, शाला प्रवेश उत्सव, बाल संदर्भ, नोनी सुरक्षा योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन, महतारी वंदन, पालक बैठक जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के अलावा विभाग अंतर्गत राशन कार्ड, राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा (स्मार्ट कार्ड), क्लोरिन, फाइलेरिया की गोली बांटना, पल्स पोलियों, निर्वाचन आयोग, जनगणना, आर्थिक सर्वेक्षण, शौचालय सर्वे, ग्राम सुराज, किशोरी बालिका की देखरेख, विधवा, परित्यक्ता सर्वे, मातृ मृत्यु दर जैसे अनेक महत्वपूर्ण कार्य भी अंजाम दिए जाते हैं। लेकिन इसके एवज सरकार के द्वारा इन्हें कोई मानदेय नहीं दिया जाता।
इन कार्यौं को अंजाम दिए जाने के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाओं को अनेक विषम परिस्थिति का सामना करना पड़ता है। भीषण गर्मी, बारिश और कड़कड़ाती ठंड जैसे प्रतिकूल मौसम के साथ्ज्ञ ही इन्हें हितग्राहियों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ता है।
नहीं मिलता उचित मानदेय
उपरोक्त कार्यों के एवज कार्यकर्ता को मात्र 10000 एवं सहायिका को 5000 रूपये मानदेय दिया जाता है। यही नहीं, कार्यकर्ता, सहायिकाओं के पूर्व निर्धारित काम की अवधि 4 घण्टा को बढ़ाकर 6 घंटा कर दिया गया है। कई बार 8 से 10 घण्टे भी कार्य करना पड़ता है। इसके बावजूद इन्हें निर्धारित कलेक्टर दर के तहत भी मानदेय नहीं दिया जाता। ना इनका वर्ग निर्धारित किया जा रहा है। विडंबना यह कि पांडेचेरी जैसे छोटे राज्य में भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को शासकीय कर्मचारी घोषित कर त़ृतीय श्रेणी और सहायिकाओं को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी घोषित कर वेतन दिया जा रहा है। हालत यह है कि प्रदेश के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाओं की स्थिति प्रदेशभर में सर्वाधिक दयनीय होकर रह गई है।
कई बार कराया ध्यानाकर्षण, नतीजा शून्य
अपनी परेशानी को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाओं द्वारा अनेक अवसर पर जगह-जगह प्रदर्शन कर ध्यानाकर्षण कराया गया लेकिन प्रशासन द्वारा उनकी सुध नहीं ली जा रही है। इस संदर्भ में 13 अगस्त को पुन: प्रदेशभर में एक दिवसीय ध्यानाकर्षण धरना प्रदर्शन कर अपनी मांगों के निदान हेतु सरकार से गुहार लगाई गई है। जिला अध्यक्ष गीता बाघ ने कहा कि इसके बाद भी यदि उनकी आवाज नहीं सुनी जाती है तो 1 सितंबर को लाखों कार्यकर्ता और सहायिकाओं द्वारा प्रांत स्तरिय धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
क्या है मांग
- कार्यकर्ता, सहायिकाओं को तत्काल शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाए।
- मध्यप्रदेश की तर्ज पर प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत मानदेय वृद्धि की जाए।
- पर्यवेक्षक भर्ती तत्काल निकाला जाए. आयु सीमा बंधन हटाते हुए 50 प्रतिशत में पदोन्नति दी जाए। सहायिकाओं को शत-प्रतिशत पदोन्नत किया जाए, उम्र का बंधन हटाया जाए।
- कार्यकर्ता व सहायिका की सेवा समाप्ति पर 10 लाख रुपए दिया जाए।
- सम्मान सुविधा प्रणाली को बंद किया जाए।
- कार्यकर्ता व सहायिका को गंभीर बीमारी पर मेडिकल छुट्टी के साथ मानदेय दिया जाए।
- प्रभार में दिए गये कार्यकर्ता व सहायिका को प्रोत्साहन राशि दिया जाए
- छ.ग. महिला कोष की तरह कार्यकर्ता व सहायिका को विभागीय ऋण उपलब्ध कराया जाए।
- ईधन की राशि समय सीमा पर दिया जाए।
- सभी केन्द्रों में 1 सिलेण्डर के साथ चूल्हा उपलब्ध कराया जाए।
- आरटीई के तहत 3 से 6 साल आयु वर्ग के बच्चों को स्कूल में भर्ती किए जाने से आंगनबांडी में बच्चे कम हो रहे है। इसके लिए ठोस निर्णय लिया जाए ताकि आंगनबाड़ी में बच्चों की कमी ना हो।
- सुपोषण चौपाल की राशि एवं मातृत्व वंदना की राशि प्रत्येक माह दी जाए ।
- आंगनबाड़ी में उपलब्ध कराई जाने वाली प्रशिक्षण राशि को खर्च किया जाए।
क्या है समस्या
- पोषण ट्रेकर एप में वर्जन का बार-बार बदलना।
- 5 जी मोबाईल न होने से नए वर्जन का सपोर्ट न करना। 5 जी मोबाईल उपलब्ध कराने के साथ नेट खर्च बढ़ाया जाए।
- नए वर्जन का सही प्रशिक्षण न दिया जाना।
- हितग्राहियों का आधार कार्ड अपलोड न होना ।
- हितग्राही द्वारा ओटीपी बताने से इंकार करना।
- हितग्राहियों के खाते से राशि निकलना।
- हितगाहीयों के मोबाईल से आधार लिंक न होना।
- बार-बार फेस मिस मैच होने का ऑप्शन आना।
- पोषण आहार ले जाने में हितग्राही द्वारा अनाकानी करना।