खास तशवीश वाले मुल्कों में पाकिस्तान भी शामिल
वाशिंगटन : आईएनएस, इंडिया
अमरीकी महकमा-ए-खारजा (विदेश विभाग) ने जुमे के रोज मजहबी आजादीयों के बारे में अपनी सालाना रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में जिन मुल्कों को खुसूसी तशवीश (चिंताजनक) की फेहरिस्त में शामिल किया गया है, उनमें बर्मा, चीन, क्यूबा, इरीट्रिया, ईरान, निकारागुआ, डीपीकेआर, पाकिस्तान, रूस, सऊदी अरब, ताजिकस्तान और तुर्कमानिस्तान शामिल हैं।
रिपोर्ट जारी करते हुए अमरीकी वजीर-ए-खारजा ने कहा है कि आज भी दुनिया में मजहब और अकीदे की बुनियाद पर हुकूमतें और गैर सरकारी अनासिर लोगों को हिरासां करने, धमकियां देने, कैद करने और यहां तक कि हलाक करने जैसे रवैय्ये जारी रखे हुए हैं। इस सिलसिले में उन्होंने कहा कि कुछ ऐसी मिसालें भी हैं जिनमें सियासी फायदे के लिए लोगों की मजहबी या अकीदे की आजादी का गला घोंटने के मौके तलाश किए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि इस तरह के इकदामात के नतीजे में तकसीम के बीज बोए जाते हैं, मआशी सलामती को नुक़्सान पहुंचता है और इससे सियासी इस्तिहकाम (ठहराव) और अमन को खतरा लाहक होता है। उन्होंने कहा कि जब इस तरह की हरकत जारी हों तो अमरीका उन पर खामोश नहीं रह सकता। दूसरी जानिब, बैन-उल-अकवामी (अंतरराष्टÑीय) मजहबी आजादी के अमरीकी कमीशन (यूएससीआईएफ) ने इस बात पर हैरत का इजहार किया है कि अमरीकी महकमा-ए-खारजा ने बैन-उल-अकवामी मजहबी आजादी एक्ट के तहत खास तशवीश वाले मुल्कों की अपनी ताजा नामजदगी में भारत या नाईजीरिया को शामिल नहीं किया। कमीशन का कहना है महकमा-ए-खारजा की जानिब से नाईजीरिया या भारत को मजहबी आजादी की संगीन खिलाफवरजी करने वालों के तौर पर तस्लीम करने में नाकामी का कोई जवाज (औचित्य) नहीं है, क्योंकि वो वाजेह तौर पर खास तशवीश वाले मुल्कों के लिए नामजदगी के कानूनी मेयारात पर पूरा उतरते हैं। कमीशन को जो एक गैर सरकारी इदारा है, उस पर भी मायूसी का इजहार किया है कि स्टेट डिपार्टमेंट ने इस साल अफ़्गानिस्तान को खास तशवीश वाले मुल्क के तौर पर शामिल नहीं किया। अगरचे उसने तालिबान को एक खास तशवीश वाले मुल्क के तौर पर दुबारा नामजद किया है, लेकिन ये इस हकीकत की अक्कासी नहीं करता कि ये ग्रुप मुल्क की हकीकी हुकूमत है।