मर्कज तहफ़्फुज इस्लाम हिंद के तहफ़्फुज ‘खत्म नबूवत’ कान्फ्रेंस से मौलाना अबू तालिब रहमानी का खिताब
बैंगलौर : आईएनएस, इंडिया
मर्कज तहफ़्फुज इस्लाम हिंद के जेरे एहतिमाम मुनाकिद पंद्रह रोजा अजीमुश्शान आनलाइन ‘तहफ़्फुज खत्म नबूवत कान्फे्रंस’ की आठवीं नशिस्त से खिताब करते हुए आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के रुक्न मौलाना अबू तालिब रहमानी ने कहा कि दीन इस्लाम के बुनियादी अकाइद में से एक ये है कि अल्लाह ताअला ने नबूवत-ओ-रिसालत का सिलसिला पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पर खत्म फरमा दिया है। आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के बाद किसी तरह का कोई नबी, कोई रसूल ना आया है, ना आ सकता है और ना आएगा, इस अकीदे से इनकार करने वाला या इसमें जर्रा बराबर शक और तरद्दुद करने वाला दायरा इस्लाम से खारिज है। क्योंकि नबूवत आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पर खत्म हो गई है और आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की नबूवत के बाद किसी को नबूवत नहीं मिल सकती, हत्ता कि जब कुर्ब-ए-कयामत हजरत ईसा अलैहिस्सलाम नाजिÞल होंगे तो वो भी ब हैसीयत उम्मती नाजिÞल होंगे और नबी करीम सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम की ही शरीयत पर अमल पैरा होंगे।
उन्होंने फरमाया कि अकीदा ‘खत्म नबूवत’ इस्लाम के बुनियादी अकाइद में से है, इस पर ईमान लाना उसी तरह जरूरी है जिस तरह अल्लाह ताअला की वहदानीयत और नबी करीम की रिसालत पर ईमान लाना है, उन्होंने कहा, हुजूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की खत्म नबूवत पर ईमान लाए बगैर कोई शख़्स मुस्लमान नहीं हो सकता। मौलाना रहमानी ने फरमाया कि दौर-ए-हाजिÞर में खासतौर पर खत्म नबूवत की एहमीयत-ओ-फजीलत से उम्मते मुस्लिमा को वाकिफ करवाना बहुत जरूरी है क्योंकि कादियानियत जैसे फित्ने इस्लाम का लबादा ओढ़ कर सादा-लौह मुस्लमानों को गुमराह कर रहे हैं, वो लोग मुस्लमानों के दरमयान बड़े जोर से कहते हैं कि वो हजरत मुहम्मद रसूल अल्लाह सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम को नबी और रसूल मानते हैं, जिसे सुनकर आम मुस्लमान उनके जाल में फंस जाते हैं, जबकि हकीकत ये है कि ये लोग हजरत मुहम्मद रसूल अल्लाह सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम को नबी तो मानते हैं लेकिन आखिरी नबी नहीं मानते। उन्होंने कहा, इसी की बुनियाद पर कादयानी दायरा इस्लाम से खारिज है। मौलाना रहमानी ने फरमाया कि अकीदा खत्म नबूवत इस्लाम की असास और अहम तरीन बुनियादी अकीदा है। काबिल-ए-जिÞक्र है कि इस मौका पर मौलाना अबू तालिब रहमानी ने मर्कज तहफ़्फुज इस्लाम हिंद की खिदमात को सराहते हुए दुआओं से नवाजा।