मारूफ मोअर्रिख राम चन्द्र गुहा, उदय कोटक और प्रशांत भूषण का इंतिबाह
नई दिल्ली : भारत का पड़ोसी मुल्क श्रीलंका इन दिनों अदम इस्तिहकाम के दौर से गुजर रहा है। वजीर-ए-आजम महेंद्र राजा पक्षे को अपने ओहदे से इस्तीफा देना पड़ा है। उसके बाद भी तशद्दुद का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। कहीं वुजरा के घर जलाए जा रहे हैं तो कहीं अरकान असैंबली से झड़पें हो रही हैं। साबिक वजीर-ए-आजम राजा पक्षे के खानदान को खुद अपनी जान बचाने के लिए नेवल बेस में पनाह लेनी पड़ी। वहां भी पहले मजहबी बुनियाद पर फिरकापरस्ती की गई थी। अकलीयतों को निशाना बनाया गया था। हिन्दोस्तान में कुछ मशहूर शख्सियात ने इन हालात का हवाला देते हुए अपने मुल्क को सीखने का मश्वरा दिया है। इन शख्सियात में मोअर्रिख राम चन्द्र गुहा, सीनीयर वकील प्रशांत भूषण और बैंकर उदय कोटक शामिल हैं।
उदय कोटक ने ट्वीट किया है कि जलता हुआ श्रीलंका बता रहा है कि क्या नहीं करना चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया है कि रूस; यूक्रेन जंग-ए-जारी है और ये मजीद सख़्त होती जा रही है। मुल्कों का असल इमतिहान अब है। अदलिया, रैगूलेटरी अथार्टीज, पुलिस, हुकूमत, पार्लियामेंट जैसे इदारों की ताकत एहमीयत रखती है। एक जलता लंका हम सबको बताता है कि क्या नहीं करना चाहिए। उदय कोटक के रिमार्कस में किसी का जिÞक्र नहीं है।
एक प्रोग्राम में मीडिया से बात करते हुए मोअर्रिख राम चन्द्र गुहा ने श्रीलंका की सूरत-ए-हाल को हिन्दोस्तान के लिए वार्निंग करार दिया है। उन्होंने कहा है कि श्रीलंका एशिया का सबसे खुशहाल मुल्क हो सकता था। उनमें खवांदगी (साक्षरता), सेहत की खिदमात, जिन्सी तनासुब (लिंगानुपात) की आला शरह थी। लेकिन ये मुल़््क अक्सरीयत की वजह से बर्बाद हो गया। उन्होंने ये भी कहा है कि अगर एक मजहब और एक जबान को एहमीयत दी जाये तो हिन्दोस्तान की हालत भी श्रीलंका जैसी हो जाएगी।
इसी तरह की राय एडवोकेट प्रशांत भूषण ने भी जाहिर की है। उन्होंने टवीटर पर कुछ अखबारी तराशे (क्लिप्स) शेयर करके हिन्दोस्तान और श्रीलंका की सूरत-ए-हाल का मुवाजना (तुलना) किया है। उन्होंने उसके साथ लिखा है कि क्या आपको श्रीलंका के हुम्मरानों ने गुजिश्ता चंद सालों में क्या किया और आज हिन्दोस्तान के हुकमरान जो कुछ कर रहे हैं, इसमें कुछ मुमासिलत (समानता) नजर आ रही है; क्या हिन्दोस्तान में इसके नताइज वही होंगे जो आज श्रीलंका में हैं, अहम बात ये है कि श्रीलंका में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं और मईशत (अर्थव्यवस्था) इतनी कमजोर हो चुकी है कि जर-ए-मुबादला के जखाइर (विदेशी मुद्रा भंडार) सिर्फ 50 अरब डालर तक आ गए हैं। इसके साथ ही श्रीलंका का दूसरे ममालिक से कर्जा भी बढ़कर 51 अरब डालर हो गया है।
माअरूफ मोअर्रिख - प्रसिद्ध इतिहासकार
अदम इस्तिहकाम -अस्थिरता
इंतिबाह चेतावनी
वुजरा मंत्रियों