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अलविदा ए माह-ए-रमजां अलविदा

अलविदा के जुम्मे की नमाज के साथ रोजेदारों ने रमजान को किया अलविदा
हजरत ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह में हजारों लोगों ने की अलविदा जुम्मे की नमाज अदा


मोहम्मद हासम अली : अजमेर शरीफ 

मजलिस को मुखातिब करते हुए गद्दीनशीन सैयद फखर काजमी चिश्ती ने अलविदा जुम्मे अहमियत पर रोशनी डाली। उन्होंने बताया कि हर नमाज मोमिन की मेराज है, अगर सच्चे दिल से खुदा की बंदगी में लीन होकर नमाजें अदा करे तो उसकी मुलाकात हर नमाज में खुदा से हो सकती है। उन्होंने कहा कि एक महीने के रोजे रखने के बाद अल्लाह ने ईद की खुशियाँ अता की है। ईद की नमाज पढ़ना ही ईद की खुशियाँ हैं। ईद के दिन सभी लोग अपने घरों में शीर खूरमा (सिवैया) बनाकर उस पर नियाज दिलाते हैं।



गद्दीनशीन सैयद फखर काजमी ने मौजूदा वक़्त को देखते हुए हर मज़हब के लोगों की इज्ज़त करने की अपील करते हुए कहा कि सभी मज़ाहिब के लोगों को आपसी भाईचारा रखते हुए हर मज़हब के त्योहारों को मिलकर मानना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे रोजाना ख़्वाजा साहब की बारगाह में दुआ करते हैं, अल्लाह ताला अपने हबीब सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के सदके में दुनिया में अमन अमान कायम फरमाए खुसूसन हमारे मुल्क हिंदुस्तान में अम्नो-अमान व भाईचारा बना रहे। 


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