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ईद के दिन काली पट्टी बांधने के बयान पर न करें अमल : आसफ

जिस जौक-ओ-शौक से अल-विदा जुमा की नमाज में शिरकत की, रमजान बाद भी उसे बरकरार रखें : आल माइनॉरिटीज फ्रंट


नई दिल्ली :
आल इंडिया माइनोर्टीज फ्रंट के डाक्टर सय्यद मुहम्मद आसिफ ने कहा कि कई तंजीम और इदारे की जानिब से सोशल मीडीया के जरीया अपील की जा रही है कि ईदुलफितर के दिन अपने गम का इजहार करते हुए हुए काली पट्टी बांध कर नमाज अदा करें, ये बयान बेतुका और गैरजिम्मादाराना है। उन्होंने कहा कि अल्लाह रब्बुल इज्जत ने हम नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के उम्मतियों को 30 रमजान का अजीम-ओ-आलीशान तोहफा अता किया ताकि हम जो गुनाह करते हैं, रमजान उल-मुबारक के महीने में अल्लाह की हिदायत पर एक महीने तक भूके प्यासे रह कर कसरत से इबादत कर अपने गुनाहों की तलाफी कर सकें। एक महीना अल्लाह की हिदायत पर जो हम भूके प्यासे रहते हैं, रोजा खत्म होने के बाद अल्लाह ने ईद मनाने हुक्म दिया है। 

ईद के मअनी हैं खुशी के, रमजान खत्म होने के बाद तीन दिनों तक हमें खुशी मनाने की अल्लाह और उसके नबी ने इजाजत दी है। जब अल्लाह रमजान खत्म होने के दूसरे दिन खुशी मनाने के लिए कह रहा है तो हम गम का इजहार क्यों करें। अगर हुकूमत हमारी शरीयत और हुकूक की पामाली करती है, इसकी मुखालिफत करते हुए ईद के दिन नए और कीमती कपड़े पहनने से परहेज करें, बिरयानी तरह तरह के पकवान ना बनाएँ, गले मिलकर एक दूसरे को खुशी की मुबारकबाद दें। आपसी रंजिश और तफरुर्का को भूल कर मुत्तहिद होने की कोशिश करें। अपने मसाइल के लिए आवाज बुलंद करें, अदालत के दरवाजे पर पहुंच कर ना इंसाफी के खिलाफ अर्जदाश्त पेश करके हयूमन राइट कमीशन तक अपनी आवाज पहुंचाएं। अपनी हैसियत के मुताबिक आप पर जिन लोगों का हुकूक बनता है, उसे पूरा करें। 

रमज़ान के बाद भी दिखाएं यह ज़ौक-ओ-शौक

सोशल मीडीया पर ईद के दिन काली पट्टी बांध कर गम का इजहार करने की अपील से हमारे मसाइल हल नहीं हो जाएंगे। उसके लिए आईन के दायरे में रह कर मैदान-ए-अमल में उतरना होगा। डाक्टर आसिफ ने आगे कहा कि रमजान का जुमा अल-विदा के दिन पूरे मुल्क की मस्जिदों में नमाज पढ़ने वालों का हुजूम उमड़ पड़ा। हम इन सब लोगों को अल-विदा की नमाज पढ़ने के लिए मुबारकबाद देते हैं और उनसे गुजारिश करते हैं कि रमजान खत्म होने के बाद इसी कसरत से हर जुमा को मस्जिद पहुंच कर मस्जिद को आबाद करेंगे। मस्जिदों की राहों को ना भूलें और शरीयत के मुताबिक जिस तरह रमजान में एक महीना गुजारा है, उसी तरह पूरा साल गुजारें। 



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