यहीं रहते ख्वाब देखा, मुंबई गए और छा गए
भिलाई। 15 फरवरी 2022 की रात इस फानी दुनिया को अलविदा कहने वाले मौसीकीकार बप्पी दा का इस्पात नगरी, भिलाई (छ.ग.) से बचपन का नाता रहा है। भिलाई में उनके मुश्किलभरे दिन गुजरे। यहीं रहते हुए बप्पी दा ने मौसीकी की दुनिया में कुछ नया करने का ख्वाब देखा था। और आखिरकार बंबई पहुंचकर उन्होंने अपना सपना सच कर दिखाया। 80-90 का दौर बप्पी दा के ऊर्जा से भरपूर मौसीकी का दौर था। उस दौर में बप्पी दा एक ओर आय एम ए डिस्को डांसर... जैसे डिस्को गानों के जरिये धूम मचा रहे थे तो दूसरी तरफ जुनूबी फिल्मों की एक आम सनफ की मौसीकी देकर मुल्क की तफरीह कर रहे थे। उसी दौर में वे सैंय्या बिना घर सूना... और चंदा देखे चंदा...जैसी बेहद गंभीर किस्म की मौसीकी से मौसीकी की दुनिया को मालामाल कर रहे थे। महज 17 साल की उम्र में उन्होंंने बांग्ला फिल्म "दादू" में संगीत दिया। जिसमें लता मंगेशकर,मन्ना डे और किशोर कुमार जैसे दिग्गजों ने प्ले बैक सिंगिंग किया। बाद में बप्पी दा ने मुंबई का रुख किया और फिर जो इतिहास बना वह दुनिया के सामने है।
लेकिन एक दौर ऐसा भी आया जब वे करियर के ढलान पर थे। जिसके बाद उन्होंने राजनीति का रास्ता चुना। 2014 में भारतीय जनता पार्टी का दामन थामकर बप्पी दा ने पश्चिम बंगाल की श्रीरामपुर सीट से किस्मत आजमाई लेकिन तृणमूल कांग्रेस के हाथों उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। जिसके बाद उन्होंने राजनीति से तौबा कर ली।
भिलाई के सेक्टर 8 में रहती थी बहन
मौसीकीकार बप्पी लाहिरी 8 अप्रैल 2013 को भिलाई स्टील प्लांट के बुलावे शो करने भिलाई आए थे। उसी दौरान वोल्गा से शिवनाथ पुस्तक के लेखक व पत्रकार मोहम्मद जाकिर हुसैन ने उनसे बात की थी। बातचीत में बप्पी दा ने भिलाई से अपने 40 साल पुराने रिश्तों पर रोशनी डाली थी।
बप्पी दा ने बताया कि उनके वालिए और मशहूर मौसीकीकार अपरेश लाहिरी और शास्त्रीय गायिका मां बंसरी लाहिरी ने 1960-70 के दौर में भिलाई में बंगाली समाज के बीच कई प्रोग्राम पेश किए थे। बप्पी दा की एक बहन शुक्ला चौधरी (सगी बुआ की बेटी) क्वार्टर नं. 2 डी, स्ट्रीट-46, सेक्टर-8 में रहती थी। इस वजह से बप्पी दा का भिलाई से करीबी नाता रहा है। वे अक्सर मुंबई आते-जाते वक्त भिलाई आ जाया करते थे।
उन्होंने बताया कि वह दौर उनके लिए मुश्किलभरे थे। उन्होंने बताया कि कोलकाता से मुंबई जाते वक्त अक्सर मैं भिलाई उतर जाता और बहन के घर 1-2 दिन रह कर जाता था। उसी बीच 2-3 महीने का एक दौर ऐसा भी रहा जब मुझे 1971 में भिलाई में अपनी बहन के घर में रहना पड़ा। यहीं रहकर संगीत तैयार करता और खाली वक्त में भिलाई घूमता था। तब मेरा ख्वाब मुंबई जाकर फिल्मी दुनिया में पहचान बनाना था। यहां रहकर मैँ उसी ख्वाब को पूरा करने के तानेबाने बुनता रहता था।
आखिरकार मेरी कोशिश रंग लाई। मुझे एक छोटे बजट की फिल्म "नन्हा शिकारी" मिली। इसके बाद नासिर हुसैन प्रोडक्शन की फिल्म "मदहोश" में बैकग्राउंड म्यूजिक करने का मौका मिला, जिसमें संगीतकार आरडी बर्मन थे। इसके बाद पहली बड़ी सुपरहिट फिल्म नासिर हुसैन की ही "जख्मी" मिली। उसके बाद "चलते-चलते", "आप की खातिर", "टूटे खिलौने" और फिर कामयाब फिल्मों की कतार लग गई। बातचीत के दौरान बप्पी दा के भिलाई में रहने वाले भांजे शांतनु चौधरी ने बताया कि उनका परिवार अब सेक्टर-8 छोड़कर सिंधिया नगर में रह रहा है। बप्पी दा ने भिलाई की यादों को टटोलते हुए कहा-उन दिनों भिलाई में काफी कम हरियाली दिखती थी। मैं सिविक सेंटर खूब जाता था।
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