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इसराईल की नींद हराम करने वाले यहया अल संवर कौन है

गजा : आईएनएस, इंडिया 

दो हफ़्ते कब्ल हम्मास के एक रहनुमा यहया संवार का नाम सामने आया था। हम्मास के ये वही रहनुमा यहया हैं, जिन्हें सात अक्तूबर को गजा में इसराईली बस्तियों पर हम्मास के अस्करी विंग (सैन्य शाखा) अल कसाम ब्रिगेड्ज के अचानक हमले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। यहया अल संवार ने दो दहाईयों के दौरान कई साल इसराईली जेलों में गुजारे हैं। उन्हें अब इसराईल को सबसे ज्यादा मतलूब (वांटेड) फलस्तीनी कमांडरों में शुमार किया जाता है। वो रवानी से इब्रानी जबान बोलते हैं। मुकामी अखबारात पढ़ते और इसराईली टीवी चैनल्ज देखते हैं ताकि इस इल्म को जंग लड़ने के लिए इस्तिमाल किया जा सके। 
    इसराईली फौज ने अलसंवार पर इल्जाम लगाया कि उन्होंने हम्मास के अस्करी विंग के रहनुमा मुहम्मद अलजैफ के साथ 7 अक्तूबर को होने वाले हमले की मंसूबा बंदी की थी। इसराईली फौज उन्हें मुर्दा शख़्स करार देती है, जिन्होंने इसराईल पर हमला करके 1400 ईसराईलीयों को हलाक और तकरीबन 212 यहूदीयों को जंगी कैदी बनाया था। इसराईली फौज ने तसदीक की कि वो अलसंवार का शिकार कर रही है, जो मुम्किना तौर पर गजा में हम्मास के जंगजूओं के जेरे इस्तेमाल सुरंगों की •ाूल-•ाुलय्याँ में छुपे हुए हैं।  वाल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक गजा में हम्मास के रहनुमा के तौर पर अलसंवार हम्मास के पेचीदा और खुफ़ीया कियादत के ढाँचे का हिस्सा हैं जिसमें उसका अस्करी विंग और सियासी बाजू शामिल है। सन 2017 में खालिद मशाल की जगह इस्माईल हनिया ने हम्मास के सियासी शोबे की जमाम अपने हाथ में ली तो यहया अलसंवार को उन्होंने गजा की पट्टी में हम्मास का लीडर मुकर्रर किया। हालांकि इस कदम को हम्मास की ज्यादा शिद्दत-पसंद तबदीली का इशारा समझा जाता था। खासतौर पर चूँकि इसराईली सिक्योरिटी हुक्काम सँवार को सबसे ज्यादा शिद्दत-पसंद अरकान में से एक समझते हैं। अलसंवार को हम्मास के अस्करी विंग अलकसाम और सियासी शोबे के दरमयान एक पुल समझा जाता है। 
    अलसंवार 1960 की दहाई के शुरू में गजा की पट्टी के अंदर एक पनाह गजीन कैंप में पैदा हुए। वो तलबा सियासत में सर-गर्म रहे और हम्मास के बानी शेख अहमद यासीन के करीबी साथियों में शुमार होने लगे। शेख अहमद यासीन को इसराईल ने 2004 में एक फिजाई हमले में शहीद कर दिया था। जब 1980 की दहाई के आखिर में फलस्तीनी बगावत के दौरान हम्मास एक मजहबी तहरीक से मुसल्लह ग्रुप में तबदील हुई तो अलसंवार ने इसराईली हुक्काम के मुताबिक उसका अस्करी विंग बनाने में मदद की। हम्मास के हुक्काम के मुताबिक उसने एक दाखिली सिक्योरिटी यूनिट •ाी कायम की जो मुखबिरों का पता चला कर उन्हें शिकार करता था। सन1988 में उन्हें इसराईली फौज ने गिरफ़्तार किया। बाद में इसराईली फौजियों को कतल करने का मुजरिम करार दिया गया और चार बार उम्र कैद की सजा सुनाई गई। जेल में उन्हें हम्मास के कैदियों की सरबराही पर मामूर किया गया।    कैद के अर्से के दौरान वो घंटों ईसराईलीयों के साथ गुजारते और उनकी सकाफ़्त को समझने की कोशिश करते। इसराईली हुक्काम का कहना है कि अलसंवार को इब्रानी टीवी चैनल देखने का नशे की हद तक जुनून था। जब हम्मास ने 2006 में इसराईली फौजी गीलाद शालेत को अगवा किया तो सँवार को इसराईल और हम्मास के दरमयान मुजाकरात (चर्चा) के दौरान जेर-ए-गौर लाया गया जिसके बाद शालेत की रिहाई के बदले 1,027 फलस्तीनी कैदीयों को रिहा किया गया। उनमें अलसंवार •ाी शामिल थे। गारशून बास्किन, जो उस वक़्त इसराईली इन्टेलीजेंस सर्विस और हम्मास के दरमयान राबतों और मुजाकरात के तौर पर काम करते थे, उनका कहना है कि अलसंवार को रिहा करने पर इसराईली हलकों में शदीद तहफ़्फुजात पाए जाते थे। लेकिन रिहाई के बाद अलसंवार तेजी से हम्मास की सफों में शामिल हो गए और हम्मास तहरीक के अरकान ने उन्हें 2017 में गजा की कियादत के लिए मुंतखब किया। वाल स्टरीट जर्नल से बात करने वाले हम्मास के ओहदेदारों के मुताबिक हम्मास के दीगर रहनुमाओं ने •ाी अराकीन को यकीन दिलाया कि गजा के सदर के तौर पर उनका इंतिखाब जमात को अंदरूनी और बैरूनी तशद्दुद के नए दौर में नहीं घसीटेगा। 
    हम्मास के हुक्काम के मुताबिक अलसंवार ने अक्सर इसराईल के साथ वसीअ-तर जंग का मुतालिबा किया है जिसमें हम्मास मस्रूफियत के नए उसूल वजा कर सकती है

आलमी बिरादरी की खामोशी शर्मनाक, अर्दवान ने की पोप फ्रांसिस से बात

अँकरा : तुर्की के सदर रजब तय्यब अर्दवान ने गुजिश्ता जुमेरात को पोप फ्रांसिस को फोन पर बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि गजा पर इसराईल के हमले कत्ल-ए-आम के मुतरादिफ (समान, जैसे) हैं, और ये कि इस मामले को लेकर बैन-उल-अकवामी बिरादरी की खामोशी शर्मनाक है। तुर्क सदारत के एक बयान के मुताबिक, बातचीत के दौरान अर्दवान ने कहा कि तमाम ममालिक को खित्ते में इन्सानी बोहरान (संकट) के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। वेटीकन के तर्जुमान (प्रवक्ता) ने एक नोट में कहा कि अर्दवान की दरखास्त के बाद दोनों के दरमयान ये बातचीत सुबह के वक़्त हुई थी। 
    तर्जुमान ने मजीद कहा कि पोप ने जो कुछ हो रहा है, उसके लिए अपने दर्द का इजहार किया और वेटीकन के मौकिफ का इआदा किया, उन्होंने उम्मीद जाहिर किया कि यरूशलम शहर के लिए खुसूसी हैसियत को तस्लीम करने के साथ-साथ दो रियास्ती हल तक पहुंचा जा सकता है। पोप फ्रांसिस और उनके पेश-रौ आलमी तनाजआत (राष्टÑीय विवाद) के पुरअमन हल पर-जोर देते रहे हैं। इस साल फरवरी में उन्होंने अपने हफ़्तावार (साप्ताहिक) खिताब में यूक्रेन पर रूस के हमले का एक बरस मुकम्मल होने की जानिब तवज्जा दिलाते हुए कहा कि ये तनाजा बेमानी और जालिमाना जंग है। पोप का कहना था कि हमें इस जंग में जानों की कुर्बानी देने वाले यूक्रेनी अफराद को याद रखना चाहिए और खुद से ये सवाल करना चाहिए कि क्या इस जंग को खत्म करने के लिए हमने हर मुम्किन कदम उठाया है। उन्होंने कहा था, 'मेरी इन तमाम बाइखतियार मुल्कों से अपील है कि वो इस तनाजे के खातमे के लिए •ारपूर कोशिश करें। फायरबंदी कराने और अमन मुजाकरात शुरू करने के लिए काम किया जाए। रूस की जानिब से गुजश्ता साल 24 फरवरी को यूक्रेन में अपने फौज •ोजने के बाद पोप फ्रांसिस ने बारहा अमन कायम करने पर जोर दिया है। 
    पोप ने हमले से एक रोज कबल •ाी तमाम फरीकों पर जोर दिया था कि वो ऐसे इकदाम ना उठाएं जिनसे लोगों के मसाइब और दुख-दर्द में इजाफा हो। कलीसाए रुम की सबसे काबिल-ए-एहतिराम शख़्सियत के तौर पर पापाए रुम की अपीलों और बयानात की इंतिहाई एहमीयत है।

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