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कर्नाटक : स्कूलों और कॉलिजों में हिजाब पर फैसला जल्द : वजीर-ए-तालीम

13 जीअकादा 1444 हिजरी
सनीचर, 3 जून 2023
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अकवाले जरीं
जब तीन लोग सफर पर रवाना हों तो वो अपने में से किसी एक को अपना अमीर बना ले। 
- अबु दाऊद
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कर्नाटक : स्कूलों और कॉलिजों में हिजाब पर फैसला जल्द : वजीर-ए-तालीम
File Photo

बंग्लूरू : आईएनएस, इंडिया 
कर्नाटक में स्कूलों और कॉलिजों में हिजाब पर पाबंदी के सिलसिले में, रियास्ती वजीर-ए-तालीम मधु बंगारप्पा ने मंगल को कहा कि कांग्रेस हुकूमत ऐसा फैसला करेगी, जिससे तमाम तलबा को फायदा पहुँचेगा। 
    सहाफियों से बात करते हुए, बंगारप्पा ने एतराफ किया कि हिजाब के मुआमले पर कुछ कानूनी रुकावटें हैं, लेकिन हम ऐसा फैसला करेंगे, जिससे पूरी तलबा बिरादरी को फायदा पहुँचेगा। उन्होंने कहा कि हम तमाम तलबा के मुफाद को मद्द-ए-नजर रखते हुए कानूनी तौर पर इस मुआमले की पैरवी करेंगे। नायब वजीर-ए-आला डीके शिव कुमार और कांग्रेस ने सख़्ती से कहा था कि हिजाब पर पाबंदी समेत साबिक बीजेपी हुकूमत के जरीया बनाए गए तमाम कवानीन को कांग्रेस के रियासत में इकतिदार सँभालने के बाद वापिस ले लिया जाएगा। काबीनी वजीर प्रियांक खरगे ने भी कहा है कि कांग्रेस हिजाब, हलाल और गाय जबीहा कवानीन पर पाबंदी वापिस लेगी। 
    हिजाब मुआमले का आगाज इबतिदाई तौर पर उडूपी प्री यूनीवर्सिटी गलर््ज कॉलेज की छ: तालिबात ने किया था, जो पिछले साल रियासत में तेजी से एक मुकम्मल बोहरान की तरफ मुड़ गया। बगैर हिजाब के क्लासिज में जाने से इनकार करने वाली तालिबात का कहना है कि वो सुप्रीम कोर्ट के हतमी (अंतिम) फैसले तक इंतिजार करेंगी। मुआमले ने फिरकावाराना रुख इखतियार कर लिया था और इसके नतीजे में रियासत में इंतिकामी हलाकतें हुईं। मंगल को नामा निगारों से अपने खिताब में बंगारप्पा ने मजीद कहा कि निसाबी कुतुब (पाठ्य पुस्तकें) और यूनीफार्म पर कोई उलझन नहीं है। तालीमी साल के लिए स्कूलों को शुरू करने के लिए तमाम तैयारीयां मुकम्मल कर ली गई हैं। उन्होंने कहा, मैं शिव मोगा में एक स्कूल का दौरा कर रहा हूँ और स्कूलों में तलबा का इस्तिकबाल कर रहा हूँ। वजीर-ए-आला सदा रामिया के इस सख़्त अलफाज के बाद कि वो बच्चों के जहनों को जहर-आलूद करने वाले मतन और अस्बाक की इजाजत नहीं देंगे, बंगारप्पा ने कहा कि निसाबी किताबों पर नजर-ए-सानी की मश्क मरहलावार (क्रमश:) तरीके से की जाएगी। कांग्रेस पार्टी ने अपने मंशूर में निसाबी किताबों पर नजर-ए-सानी का यकीन दिलाया था। जिससे सबक बच्चों के जहनों में जहर घोलने का खतरा ना हो।


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