4 जीअकादा 1444 हिजरी
जुमेरात, 25 मई, 2023
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लखनऊ : आईएनएस, इंडिया
इंडो इस्लामिक कल्चर फाउंडेशन अयोध्या में मस्जिद की तामीर के मंसूबे की मंजूरी के लिए अयोध्या डेवलपमेंट अथार्टी को रिपोर्ट पेश करने वाली है। इससे पहले फाउंडेशन अयोध्या डेवलपमेंट अथार्टी से तरक़्कीयाती (डेवलपमेंट) चार्जेज को मुकम्मल तौर पर आजाद करने का मन्सूबा बना रही है, जिसकी मुकम्मल तफसीलात वो यूपी हुकूमत के हवाले करेंगी। इंडो इस्लामिक कल्चर फाउंडेशन एक कमेटी है, जिसे सुन्नी सेंटर्ल वक़्फ बोर्ड ने तशकील दिया है। मस्जिद के मंसूबे की हतमी (अंतिम) मंजूरी हासिल करने के लिए आईआईसीएफ को तकरीबन 10-12 करोड़ रुपय लेबर एंड डेवलपमेंट टैक्स के तौर पर जमा करना होगा। क्राउड फंडिंग के जरीये, फाउंडेशन अब तक मस्जिद के लिए तकरीबन 50 लाख रुपय इकट्ठा कर पाई है। आईआईसीएफ के एक अहलकार ने अंग्रेजी अखबार को बताया कि मस्जिद के लिए फंड इकट्ठा करना बंद हो गया है जिसकी वजह से इसकी तामीर की राह में मुसलसल रुकावटें आ रही हैं। मीडीया रिपोर्ट के मुताबिक आईआईसीएफ के सेक्रेटरी अतहर हुसैन सिद्दीकी ने कहा कि कमेटी रियास्ती हुकूमत की शुक्रगुजार है। रियास्ती हुकूमत ने इस इलाके के जमीनी कवानीन में तबदीली की है। इस वजह से मस्जिद का मन्सूबा बनाया गया है। अब ये अमल हमारे लिए आसान हो गया है। अतहर हुसैन सिद्दीकी ने बताया कि नक़्शे की हतमी मंजूरी के लिए गुजिश्ता माह दरखास्त देने की तैयारी थी। इसके लिए एडीए से राबिता किया गया तो बताया गया कि कुछ रकम डेवलपमेंट और लेबर टैक्स के तौर पर जमा करानी होगी। पूछगिछ की तो मालूम हुआ कि कई करोड़ रुपय की रकम जमा करनी होगी। इस वक़्त फाउंडेशन के पास ज्यादा रकम नहीं है। इसलिए रियास्ती हुकूमत से तरक़्कीयाती फीस माफ करने की दरखास्त करने का फैसला किया गया है। इसके लिए फाउंडेशन के सदर की जानिब से रियास्ती ओहदेदारों को एक खत भेजा जाएगा। एडीए के एक सीनीयर अफ़्सर ने कहा कि जैसे ही मस्जिद का नक़्शा आईआईसीएफ अथार्टी को मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा, हमारा सॉफ्टवेअर एक फार्म तैयार करेगा। उस फार्म में डेवलपमेंट टैक्स (कुल प्रोजेक्ट लागत का 2.3 फीसद) और लेबर फीस (प्रोजेक्ट लागत का 1 फीसद) जमा करने की तफसीलात शामिल होंगी। आईआईएफसी के मुताबिक तीन फेज मस्जिद प्रोजेक्ट की कुल लागत तकरीबन 300 करोड़ रुपय है। ये काम्पलैक्स 4500 मुरब्बा मीटर पर फैला हुआ है। इसमें एक हस्पताल, कम्यूनिटी किचन और लाइब्रेरी और एक तहकीकी मर्कज (शोध केंद्र) शामिल है। ये तहकीकी मर्कज हुर्रियत पसंद मौलवी अहमद उल्लाह शाह के लिए वक़्फ है, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ 1857 की जद्द-ओ-जहद आजादी में हिस्सा लिया था। मस्जिद का खाका प्रोफेसर एसएम अखतर ने डिजाइन किया है।