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(मसनून दुआएं) |
नई तहरीक : रायपुर
हजरत अनस (रजियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) से सबसे अफजल रोजों के बारे में पूछा गया, तो आप (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) ने फरमाया : रमजान की ताजीम के लिए शाबान के रोजे।
- (तिर्मिजी)
हजरत आइशा सिद्दीका (रजियल्लाहु अन्हा) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) को माहे शाबान में रोजे रखना तमाम महीनों से ज्यादा पसन्दीदा था कि इसमें रोजा रखा करते फिर इसे रमजान से मिला देते। - (अबू दाऊद)
हजरत आइशा सिद्दीका (रजियल्लाहु अन्हा) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) पूरे शाबान के रोजे रखा करते थे, और फरमाते, अपनी इस्तित़ाअ़त के मुताबिक अमल करो कि अल्लाह तआला उस वक़्त तक अपना फज्ल नहीं रोकता, जब तक तुम उकता न जाओ। - (सहीह बुखारी)
नया चांद देखने की दुआ
हजरत तल्हा बिन उबैदुल्लाह (रजियल्लाहु अन्हु) रिवायत करते हैं कि जब रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) नया चांद देखते तो यह दुआ पढ़ते : अल्लाहुम्मा अहिल्लहू अलैना बिल्युम्नी वल ईमानी वस्सलामति वल इस्लाम। रब्बी व रब्बुकल्लाह। (तजुर्मा: ऐ अल्लाह! ये चांद हमारे ऊपर बरकत, ईमान, सलामती और इस्लाम के साथ निकालिए। ऐ चांद! मेरा और तेरा रब अल्लाह तआला है)।- (तिर्मिजी)
रिज्क की फरावानी का वजीफा
सूरह माइदह कुरआने पाक की मुबारक सूरह है। माइदह मतलब होता है, दस्तरख़्वान। इस सूरह मुबारका में आसमान से दस्तरख़्वान नाजिल होने वाले मोजजे का जिक्र है जो पैगम्बर हजरत ईसा (अलैहिस्सलाम) के मोजजे में आपकी दुआ से आसमान से नाजिल हुआ करता था। इस सूरह मुबारका की फजीलत में एक यह भी है कि इसके वजीफे से दस्तरख़्वान हमेशा भरा-भरा रहता है, मतलब बेरोजगारी और तंगदस्ती दूर हो जाती है और रिज्क की फरावानी रहती है। इस्लामी माह (मतलब चांद) की पहली जुमेरात को इस मुबारक सूरह को 41 बार पढ़कर दुआ कर लिया करें। इन्शा अल्लाह बेरोजगारी और तंगदस्ती दूर होकर रिज्क की फरावानी रहेगी।- पेशकश : मोहम्मद शमीम, रायपुर
चांद रात29 रज्जबुल मुरज्जब 1444 हिजरी
21 फरवरी 2023
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