गौ माता के उस दर्जे को, जो द्वापरयुग में भगवान कृष्ण के समय था, वापस लाने का प्रण कराया

नई तहरीक : दुर्ग 

पुरानी गंजमडी, गंजपारा में जारी श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिवस देवी चित्रलेखा जी ने लोगों को गौ माता की रक्षा करने का मूल मंत्र दिया। इस दौरान उन्होंने युवाओं को गौ माता की रक्षा के लिए आगे आने प्रेरित किया। साथ ही किसानों को खेत में विषैले उर्वरकों की जगह गौ माता के गोबर से बनी खाद का उपयोग करने कहा ताकि खेतों में प्राकृतिक रूप से अच्छी फसल हो और खाद्य पदार्थ मानव शरीर को रोगमुक्त कर सके।

कथा आगे बढ़ाते हुए देवी चित्रलेखा जी ने गौ माता की दयनीय दशा की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित कराते हुए गौ माता पालने व भारतीय संस्कृति को बचाने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा, गौ माता बचेगी तो देश बचेगा। 

उन्होंने कहा, कथा इसलिए नहीं है कि जीवन परिवर्तित हो जाए, ये कथा सिर्फ प्रभु के आनंद को जीने के लिए है। आ जाओ, कथा में और जब बैठो तब छोड़ दो प्रभु पर सब कुछ। चिंता इतनी करो कि काम हो जाए। पर इतनी नही की जिंदगी तमाम हो। मस्त रहिये, हरिनाम में व्यस्त रहिये।

भगवान के अवतारों का किया वर्णन

    देवी चित्रलेखा जी ने कथा के दौरान भगवान के 24 अवतारों आदि परषु, चार सनतकुमार, वराह, नारद, नर-नारायण, कपिल, दत्तात्रेय, याज्ञ, ऋषभ, पृथु, मतस्य, कच्छप, धनवंतरी, मोहिनी, नृसिंह, हयग्रीव, वामन, परशुराम, व्यास, राम, बलराम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि कलयुग के आरंभ में पांडव कुलभूषण राजा परीक्षित के तपस्यारत शमीक ऋषि के गले में सर्प डालने तथा ऋषि पुत्र के राजा को नाग द्वारा डसने संबंधी श्राप दिए जाने की कथा भी सुनाई। वहीं ऋषियों के परीक्षित को श्राप से मुक्ति दिलाने का उपाय का वर्णन करते हुए श्रीमद्भागवत कथा श्रवण को मुक्ति का सरल उपाय बताया।
    उन्होंने कहा कि आदि वर्णन कराया तो माता देवहुति को सच्चा ज्ञान हो गया। योग का श्रवण करते हुए माता देवहुति ने सिद्धिधा नामक नदी में अपने मानसिक शरीर का संकल्प कर दिया। इसके अलावा उन्होंने हिरण्याक्ष का वध व हिरण्यकशिपु की कथा, सति चरित्र, ध्रुव चरित्र, ध्रुव जी के वंश का निरूपण व खगोल विज्ञान का वर्णन आदि कथाओ का श्रवण कराते हुए पूज्या गौ माता की दुर्दशा पर बात कही। उन्होंने कहा कि हमारी माता की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है जिसका कारण हम स्वयं हैं। हमें गौ माता के उसी दर्जे को, जो द्वापरयुग में भगवान कृष्ण के समय में था, दिलाने के लिए प्रयास करना चाहिए। कथा के द्वितीय दिवस को नाम संकीर्तन के साथ विश्राम दिया गया।
    आज की कथा में कथा के मुख्य यजमान परिवार सुरेश अग्रवाल, गिरधारी शर्मा, आरएस तिवारी, प्रतीक अग्रवाल, सुयश तिवारी के अलावा केके चंद्रवंशी, (निज सहायक, मुख्यमंत्री निवास) राजेश यादव, (सभापति, दुर्ग) लक्ष्मण चंद्राकर, सुरेश शर्मा (अध्यक्ष संस्कृति बोर्ड,) पायल जैन, दिलीप सेक्सरिया, राधेश्याम शर्मा, लाखन सिंह, विनोद अग्रवाल, राजेश अग्रवाल, लक्की अग्रवाल, आयुष अग्रवाल, मीना वारेडा, आदित्य  भरद्वाज, कन्हैया देवांगन, विनोद पांडेय के अलावा हजारों की संख्या में धर्मप्रेमी उपस्थित थे। 

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