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सोशल मीडिया का कमाल, पाकिस्तानी मुस्लिम बहन को हिन्दोस्तान में मिल गया उसका सिक्ख भाई

तकसीमे हिंद के दौरान भाई रह गया था लुधियाना में
1961 में भाई ने बहन को लिखा था खत


लुधियाना : आईएनएस, इंडिया
 

पाकिस्तान के जिÞला शेखूपूरा की रिहायशी सकीना बीबी को दहाईयों से अपने लापता भाई की तलाश थी जो तकसीम-ए-हिंद के दौरान हिंदूस्तान के शहर लुधियाना में रह गए थे। खबर के मुताबिक 67 साला सकीना बीबी की वीडीयो सोशल मीडीया पर अपलोड हुई तो लुधियाना के गांव जासोविल के सरपंच जगतर सिंह के पास जा पहुंची, जिन्होंने तसदीक की कि सकीना बीबी के भाई गुरमेल सिंह इसी गांव में रहते हैं। सकीना बीबी ने ना कभी अपने भाई को देखा है और ना ही उनसे मिली हैं लेकिन उनका ये इंतिजार चंद ही दिनों में खत्म होने वाला था। सालों से बिछड़े बहन-भाई पहली मर्तबा एक-दूसरे से मिल सकेंगे लेकिन वो भी आॅनलाइन काल के जरीये। 

पाकिस्तान से ताल्लुक रखने वाले यू ट्यूबर नासिर ढिल्लों ने सकीना बीबी की एक वीडीयो शाइआ की थी जिसमें उन्होंने अपने गुमशुदा भाई से मिलने की अपील की थी। सकीना बीबी ने वीडीयो पैगाम में बताया कि उनके वालदैन ने भाई को तलाश करने की कोशिश की लेकिन कामयाब ना हो सके। 'मेरे भाई ने सन 1961 में हमें एक खत लिखा था जिसके साथ उन्होंने अपनी तस्वीर भी भेजी थी। उस वक़्त वो आठवीं जमात में पढ़ते थे। खत में गुरमेल सिंह ने बताया था कि जो खानदान उनकी देखभाल कर रहा है, वो बिल्कुल अपने बेटे की तरह ही उनका ख़्याल रखते हैं। लेकिन हम ये नहीं मालूम कर सके कि ये खत किस पते से आया था। मेरी वालिदा बेटे को देखने के गम में ही चल बसी। जब मेरे वालदैन इंतिकाल कर गए तो मैंने भाई को तलाश करने की कोशिश की और मेरे दामाद ने भी। मैंने हर जगह  भाई से मिलने की दुआ की, यहां तक कि ननकाना साहिब पर भी। तकसीम-ए-हिंद के दौरान सकीना बीबी के भाई गुरमेल सिंह ग्रेवाल इंडिया में ही रह गए थे और उन्हें एक सिक्ख खानदान ने पालपोस कर बड़ा किया। टाईम्स आफ इंडिया से बात करते हुए नासिर ढिल्लों ने बताया कि गुरमेल सिंह तकसीम-ए-हिंद से पहले लुधियाना के गांव नूरपूर में पैदा हुए थे जबकि उनकी बहन सकीना बीबी पाकिस्तान के जिÞला शेखूपूरा के गांव गुरुदास में साल 1955 में पैदा हुई थीं। सन 1947 में तकसीम-ए-हिंद के दौरान पैदा होने वाली सूरत-ए-हाल में गुरमेल और उनकी वालिदा अपने आबाई गांव में रह गई थीं। गुरमेल के वालिद ने हुक्काम को खत लिख कर दरखास्त की कि उनके अहिले खाना को पाकिस्तान भिजवाया जाये। हुक्काम गुरमेल की वालिदा को तो पाकिस्तान मुंतकिल करने में कामयाब हो गए लेकिन उन्हें लुधियाना में ही छोड़ दिया। जिस वक़्त हुक्काम पर मुश्तमिल टीम पाँच साला गुरमेल और वालिदा को लेने घर आई तो उस वक़्त वो बाहर कहीं खेलने गए हुए थे और टीम इंतिजार किए बगैर ही वालिदा को ले गई। सकीना बीबी के मुताबिक उनकी वालिदा बेटे की जुदाई का गम ना सह सकीं और अभी सकीना दो साल की थीं कि वालिदा चल बसीं। सकीना बीबी जब तीसरी जमात में पढ़ रही थीं तो उनके वालिद वली मुहम्मद इंतिकाल कर गए। नासिर ढिल्लों ने बताया कि जैसे ही उन्होंने वीडीयो और तस्वीरें सोशल मीडीया पर शाइआ कीं तो जासोवाल गांव के सरपंच जगतर सिंह ने उनसे राबिता किया। जगतर सिंह ने बताया कि उन्होंने गुरमेल सिंह को वीडीयो दिखाने के लिए बुलवाया था। गुरमेल सिंह समझे कि उनकी बहन वीडीयो काल पर हैं तो उन्होंने आँसुवों के साथ सरगोशी करते कहा 'मैं तेरा वीर ही आँ। गांव के सरपंच ने बताया कि गुरमेल अपनी अहलिया और बेटी के साथ गांव में ही रहते हैं। गुरमेल सिंह ने खुशी का इजहार करते हुए कहा कि मैं अपने घर वालों को याद करता था लेकिन उन्हें तलाश नहीं कर सका। मैंने सुना था कि मेरी वालिदा मेरा इंतिजार करते-करते फौत हो गईं। अब मेरी बहन ने मुझे ढूंढ लिया है तो मैं कल ही उससे मिलने जा सकता हूँ। मेरे पास पासपोर्ट नहीं है लेकिन बनवा लूँगा। गुरमेल सिंह ने मजीद कहा कि वो अपनी बहन के लिए गांव में बने हुए खास बिस्कुट लेकर जाना चाहते हैं। 


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