बासी के स्वाद का चला जादू, सबने खाया, सोशल मीडिया पर ट्रेंड किया बासी ने

रायपुर के युवा कांग्रेसी नेता तारीक अनवर ने बोरे बासी से किया इफ्तार


दुर्ग।
प्रदेश के लिए 1 मई अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस का दिन हमेशा के लिए यादगार बन गया। इस दिन प्रदेश के प्राय: हर नागरिक ने अपने दिन की शुरूआत बासी खाकर की। छत्तीसगढ़ में बासी खाकर काम पर जाने की परंपरा है। लोग कड़ी मेहनत करने के लिए स्वादिष्ट बासी खाकर घर से निकलते हैं। बासी से उन्हें ऊर्जा मिलती है और वह तरोताजा बने रहते हैं। इसी तरह खेत पर जी तोड़ परिश्रम करने के पश्चात जब वे बोरे बासी खाते हैं। 1 मई पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अपील पर जनप्रतिनिधि, पत्रकार व राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोगों सोशल मीडिया पर पूरे दिन यह ट्रेंड करता रहा। विधायक अरुण वोरा, देवेंद्र यादव, महापौर धीरज बाकलीवाल ने अपने घर पर तथा श्रमिकों के साथ बासी का स्वाद लिया। संभागायुक्त महादेव कांवड़े, आईजी बद्री नारायण मीणा, कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे एवं एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने भी बासी का आनंद लिया। कलेक्टर अवकाश पर पुणे में थे। उन्होंने पुणे में ही बासी का आनंद लिया। एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने पुलिस अधिकारियों के साथ बासी का आनंद लिया। श्रम अधिकारी आरके प्रधान ने अपने आॅफिस में श्रमिकों के साथ दिन की शुरूआत बोरे बासी खाकर की तथा श्रमिकों का सम्मान भी किया। मनरेगा में कार्य स्थलों में सभी श्रमिकों ने बोरे बासी खाकर दिन की शुरूआत की। जनप्रतिनिधियों के साथ ही पत्रकारों ने भी इस अभियान में गहन दिलचस्पी दिखाई। इस संबंध में चर्चा करने पर रायपुर के युवा कांग्रेसी नेता तारीक अनवर ने कहा कि बोरे बासी छत्तीसगढ़ का अभिन्न खाद्य है और इसमें पौष्टिक गुण भरपूर मात्रा में भरे हुए हैं तथा यह शरीर को गर्मी के दिनों में तरोताजा रखता है। तारीक ने कहा कि हमारी खानपान की संस्कृति को सहेजने का जो यह जतन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया है, और हम सबको श्रमिक दिवस के दिन श्रम के सम्मान में बोरे बासी खाने के लिए प्रेरित किया है, वह प्रशंसनीय है। दुर्ग शहर के नागरिकों ने कहा कि हमारी पहचान केवल भौगोलिक पहचान नहीं होती, हमारी पहचान सांस्कृतिक पहचान भी होती है और इसमें हमारी खानपान की परंपराएं भी शामिल होती है। छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है और धान के कटोरे में चावल के बहुत से व्यंजन बहुत प्रसिद्ध है। इनमें बोरे और बासी  लोगों को बहुत प्रिय हैं। आज श्रम के सम्मान में यह जो कार्यक्रम रखा गया वह वास्तव में हमारी खानपान की सांस्कृतिक परंपराओं का सम्मान है। अमलेश्वर के ओंकार प्रसाद गिरोडे ने बासी खाने के बाद बताया कि हमारी खानपान की परंपरा को सरकार ने बहुत बढ़ावा दिया। हम लोग बहुत खुश हैं।


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