नई दिल्ली : अजदवाजी इस्मतदरी (वैवाहिक बलात्कार) का मुआमला अब सुप्रीमकोर्ट पहुंच गया है। दिल्ली हाईकोर्ट के मुनकसिम (अलग) फैसले के बाद मुआमले में सुप्रीमकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है।
दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट की दो जजों के बेंच ने इस बात पर मुनकसिम फैसला दिया था कि अजदवाजी इस्मतदरी जुर्म है या नहीं। केस की समाअत के दौरान दोनों जजों की राय मुत्तफिक नहीं थी जिसकी वजह से दोनों जजों ने मुआमले को सुप्रीमकोर्ट में समाअत के लिए तजवीज किया था। इससे कब्ल दिल्ली हाईकोर्ट के दो जजों की डिवीजन बेंच ने अजदवाजी इस्मतदरी को जुर्म करार देने के बारे में मुनकसिम फैसला दिया था। बेंच के एक जज ने अपने फैसले में अजदवाजी इस्मतदरी को जुर्म समझा, जबकि दूसरे जज ने उसे जुर्म तसव्वुर करने से गुरेज किया। समाअत के दौरान जस्टिस ने, जो डिवीजन बेंच की सरबराही कर रहे थे, अजदवाजी इस्मतदरी के इस्तिस्ना (अपवाद) को मंसूख (रदद) करने की हिमायत की, जस्टिस सी हरीशंकर ने तबसरा किया कि आईपीसी के तहत इस्तिस्ना गैर आईनी नहीं है, और ये एक माकूल इमतियाज पर मबनी है। दरहकीकत अर्जी गुजार ने आईपीसी की दफा 375 (रेप) के तहत अजदवाजी इस्मतदरी को मुस्तसना करार देने की आईनी हैसियत को चैलेंज किया था। इस दफा के मुताबिक उसके शौहर की तरफ से शादीशुदा औरत के साथ किए जानेवाले जिन्सी फे़अल को इस्मतदरी नहीं समझा जायेगा जब तक कि बीवी नाबालिग ना हो। अहम बात ये है कि हाईकोर्ट ने अजदवाजी इस्मतदरी को जुर्म करार देने के मुआमला में अपना फरीक पेश करने के लिए बार-बार वक़्त मांगने पर मर्कजी हुकूमत के रवैय्या पर नाराजगी जाहिर की थी।
एयरपोर्ट में अब खोजी कुत्ते करेंगे कोरोना मरीजों की पतासाजी
लंदन : तर्बीयत याफताह (ट्रेंड) कुत्ते हवाई अड्डों पर हवाई मुसाफिरों के दरमयान कोरोना वाइरस से मुतास्सिरा किसी शख़्स का पता लगा सकते हैं। ये दावा एक तहकीकी रिपोर्ट में किया गया है। ये रिपोर्ट बीएमजे ग्लोबल हेल्थ जर्नल में शाइआ हुई है। जिसमें कहा गया है कि तर्बीयत याफताह कुत्ते कोरोना मुतास्सिर हवाई मुसाफिरों को दुरुस्त तरीके से ट्रेस कर सकते हैं।
मुतास्सिरीन की शिनाख़्त का ये तरीका अहम है, क्योंकि ये ना सिर्फ इंफेक्शन के इबतिदाई मराहिल में बीमारी का पता लगाने बल्कि वबा पर काबू पाने में भी कारगर है। तहकीक का एक और अहम नतीजा ये है कि ये कुत्ते कोरोना के अल्फा वेरियंट का दुरुस्त पता लगाने में कम कामयाब रहे, क्योंकि उन्हें कोरोना की असल शक्ल का पता लगाने की तर्बीयत दी गई है। इससे साबित होता है कि कुत्ते मुख़्तलिफ बू के दरमयान फर्क़ करने की सलाहीयत रखते हैं। ख़्याल किया जाता है कि कुत्ते जिस्म में मुख़्तलिफ मेटाबोलिक अम्लों के दौरान जारी होने वाले मुख़्तलिफ नामियाती मुरक्कबात (कार्बनिक यौगिक) का पता लगाने के काबिल होते हैं। फिनलैंड में यूनीवर्सिटी आफ हेलसिंकी और यूनीवर्सिटी हस्पताल आफ हेलसिंकी ने 2020 में चार कुत्तों को सारस और कौवे सूँघने की तर्बीयत दी। इन कुत्तों में से हर एक को पहले मुनश्शियात या खतरनाक इश्याय या कैंसर का पता लगाने की तर्बीयत दी गई थी। इन कुत्तों की तर्बीयत के लिए, 420 रजाकारों ने हर कुत्ते को उनकी जिल्द के बाल के नमूने फराहम किए थे। उन चार कुत्तों में से हर एक ने 114 रजाकारों की जिल्द के नमूने सूँघे और पीसीआर टेस्ट में मुसबत (सकारात्मक) तजुर्बा किया, जब कि 306 मनफी (नकारात्मक) पाए गए।