धर्म संसद में मुस्लमानों के खिलाफ इश्तिआल अंगेज बयान के मुल्जिम
नई दिल्ली : सुप्रीमकोर्ट ने जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी, जो पहले वसीम रिजवी के नाम से मशहूर थे, को तीन माह की उबूरी जमानत दे दी है। वसीम पर गुजश्ता साल दिसंबर में मुनाकिदा हरी द्वार धर्म संसद में मुस्लमानों के खिलाफ इश्तिआल अंगेज बयान देने और अक्सरीयती तबका को उकसाने का इल्जाम है।
रिजवी को इस साल 13 जनवरी को गिरफ़्तार किया गया था। रिजवी के वकील ने दिल की बीमारी के ईलाज के लिए जमानत की दरखास्त की थी। इस दरखास्त पर समाअत करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने मंगल को जमानत मंजूर करते हुए हुक्म दिया कि वो जमानत के दौरान कोई इश्तिआल अंगेज तकरीर नहीं करेंगे। इससे पहले 12 मई को सुप्रीमकोर्ट में समाअत हुई थी और इस दौरान सुप्रीमकोर्ट ने उत्तराखंड हुकूमत को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि त्यागी उर्फ वसीम रिजवी माहौल खराब कर रहे हैं। अदालत ने ये भी कहा कि लोग अमन से रहें और जिंदगी का लुतफ उठाएं। अदालत ने कहा कि इससे पहले कि वो दूसरों को आगाह करने के लिए कहे, उसे पहले खुद हस्सास होना चाहिए। बेंच का निशाना वो लोग भी थे, जिन्होंने धर्म संसद में मुस्लमानों के खिलाफ नफरतअंगेज तकरीर की थी। त्यागी की तरफ से पेश होने वाले सीनीयर वकील सिद्धार्थ लूथरा ने अदालत में कहा कि त्यागी छ: माह से जेल में हैं और मुख़्तलिफ बीमारीयों में मुब्तला हैं। उन्होंने कहा कि त्यागी के खिलाफ दर्ज मुकद्दमे में ज्यादा से ज्यादा सजा तीन साल है और उन्हें इन दफआत पर जमानत दी जानी चाहीए।