तामीर मिल्लत की तकरीब ईद मिलनमुहम्मद जिया उद्दीन नैयर, कैप्टेन पांडव रंगा रेड्डी और डाक्टर मुश्ताक अली का खिताब
इस्लाम में ईदें खुशी और मुसर्रत के इजहार का बेहतरीन और उम्दा तरीका हैं। जिस सादगी के साथ ईद मनाई जाती है, वो काफी पुर असर होती है। हिन्दुस्तानी तहजीब पर इस्लाम के अनमिट नुकूश हैं, बातिल ताकतों की कोशिशों के बावजूद उन्हें मिटाना मुम्किन नहीं। खुशी की बात है कि हिंदू बिरादरी का एक बड़ा तबका खुश अखलाक और मिलनसार है और वो रवादारी की रवायात को परवान चढ़ाता है। इस मिलेजुले कल्चर पर हमें फख्र होना चाहिए। इन ख़्यालात का इजहार सदर कुल हिंद मजलिस तामीर मिल्लत मुहम्मद जिया उद्दीन नैयर ने गुजिश्ता दिनों सदर दफ़्तर तंजीम नारायण गौड़ा में तकरीब ईद मिलाप से खिताब करते हुए किया।
इस खुशगवार तकरीब में तंजीम के ओहदेदारों, अरकान शूरा, अरकान आमिला-ओ-कारकुनों की कसीर तादाद शरीक थी। कैप्टेन पांडव रंगा रेड्डी और कारी मुहम्मद अब्दुल कय्यूम शाकिर ने बहैसीयत मेहमान-ए-खुसूसी शिरकत की। सदर तंजीम ने कहा कि मौजूदा हालात तशवीशनाक जरूर हैं, मुस्लमान इससे भी ज्यादा सख़्त हालात का शिकार हुआ है। इस्लाम जिंदा है और जिंदा रहेगा, हमें घबराने और खौफजदा होने की जरूरत नहीं। चमन पर मुसीबत आती है तो बुलबलों पर भी इसकी हिफाजत की जिÞम्मेदारी आइद होती है। उन्होंने कहा कि इस्लाम ने दुनिया को तौहीद और मुसावात का दरस दिया। औरत की समाजी हैसियत का ताय्युन किया और उसकी हिफाजत करना सिखाया। हिन्दोस्तान में मुस्लमानों की आमद और फुतूहात को पाँच अदवार में तकसीम किया जा सकता है।
पहला दौर हमला आवरों का दौर था जिसमें मुहम्मद बिन कासिम और महमूद गजनवी शामिल थे। दूसरा दौर सलातीन का दौर था जिसमें पाँच सल्तनतों ने राज किया। तीसरा दौर जुनूबी हिंद की खुद मुखतार रियास्तों का दौर था। चौथा दौर मुग़्लिया दौर था और पांचवां दौर आसिफ जारही सलतनत का दौर था जिसके साथ ही मुस्लमानों का जवाल हो गया और हिन्दोस्तान एक नए जमहूरी दौर में दाखिल हो गया। अब इस दौर को खत्म करके हिंदू राष्ट्र का दौर शुरू करने की तहरीक पूरे जोबन पर है। उन्होंने कहा कि मुस्लमानों को चाहिए कि वो तारीख का मुताला करें और देखें कि किसी भी कौम खुसूसन मुस्लमानों के उरूज के अस्बाब क्या होते हैं और जवाल के लिए कौन से अवामिल कारफरमा होते हैं। इस से सबक लेकर जिंदगी का रास्ता तए करना चाहिए।
कैप्टेन पांडव रंगा रेड्डी ने ईद की मुबारकबाद देते हुए कहा कि हैदराबाद कभी दुनिया में एक शानदार मुकाम रखता था। इसकी अपनी तहजीब थी, वो दुनिया की दौलतमंद तरीन सल्तनतों में शुमार होती थी। अवाम शेर-ओ-शुक्र की तरह रहते थे। लेकिन साजिÞशों के जरीया उस तहजीब को खत्म कर दिया जा रहा है जिसके खिलाफ सबको मुत्तहिद हो कर जद्द-ओ-जहद करनी चाहिए। नायब सदर तंजीम डाक्टर मुहम्मद मुश्ताक अली ने कहा कि इस्लाम में जकवात को जो तसव्वुर है, वो दुनिया के किसी मजहब और किसी तहजीब में नहीं है। गरीबों और नादारों की वसीअ पैमाना पर मदद की जाती है। हमारी जिÞम्मेदारी है कि माल पर जब भी एक साल गुजर जाये, हम जकवात निकाल दिया करें। रमजान का इंतिजार ना करें। नेक काम करने का जो मुजाहरा हमने रमजान में किया, उसको साल भर जारी रखना चाहिए ताकि हमारा कोई भाई तकलीफ में ना रहे।
कारी मुहम्मद सुलेमान की करात कलाम पाक से तकरीब का आगाज हुआ। शाहनवाज हाश्मी ने नाअत शरीफ और तशकील रज्जाकी ने नजम सुनाई। नायब मोतमिद उमूमी मुहम्मद सैफ अल रहीम कुरैशी ने खैरमक़्दम किया और कार्रवाई चलाई। मोतमिद उमूमी मुहम्मद उमर अहमद शफीक ने कहा कि ईद मिलाप की तकरीब तंजीम की एक देरीना रिवायत है। तंजीम से वाबस्ता अहबाब जमा होते हैं और एक दूसरे की खुशियों में शरीक होते हैं। इस तकरीब में डाक्टर यूसुफ हामिदी, मिर्ज़ा यूसुफ बेग, मुईन अल्जमां, मुहम्मद अली सलीम, असद कादरी, ख़्वाजा कुतुब उद्दीन, एजाज हुसैन एडवोकेट समेत बड़ी तादाद में लोगों ने शिरकत की।