रबि उल अव्वल, 1447 हिजरी﷽फरमाने रसूल ﷺ"जो कोई नजूमी (ज्योतिश) के पास जाए फिर उससे कुछ पूछे तो उसकी चालीस रात की नमाज़े क़ुबूल न होगी।"- मुस्लिम
हजरत अल्लामा मौलाना, सैय्यद मुहम्मद अहरार आलम से मुलाकात कर हाजी सिद्दीकी ने तोहफतन पेश की अपनी किताब
गुजिश्ता दिनों आर्किटेक्ट हाजी एमएच सिद्दीकी ने हजरत अल्लामा मौलाना, सैय्यद मुहम्मद अहरार आलम वफ़ा शहबाजी से मुलाकात कर उन्हें अपनी किताब तामीर-ए-मस्जिद, मदरसा व मज़ारात तोहफतन पेश की। ख़ानकाह शहबाजिया के चश्मो-चिराग, अहरार आलम ने हाजी सिद्दीकी की इस पहल की सताईस करते हुए हाजी सिद्दीकी की किताब को मदरसा, मस्जिद व मजारात की तामीर की जानिब मील का पत्थर कहा। उन्होंने कहा कि मस्जिद, मदरसा व मज़ारात की ताअमीर को लेकर हाजी सिद्दीकी ने अपनी किताब में आसान तरीका-ए-कार और बनावट की बारीकियों के साथ साझा किया है।
इस दौरान जामा मस्जिद सेक्टर-6 के ईमाम-ओ-खतीब इकबाल अंजुम हैदर और भिलाई नगर मस्जिद ट्रस्ट के सदर मिर्जा आसिम बेग समेत दीगर आलिमे दीन मौजूद थे।
गौरतलब है कि हाजी सिद्दीकी गुजिश्ता 4 दशक से आर्किटेक्ट के शोबे में एक जाना पहचाना नाम है। छत्तीसगढ़ समेत मध्यप्रदेश के अलावा मुल्क के दीगर हिस्सों में उन्हें उनके खुसूसी डिजाईन से बनाए गए मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारा के लिए जाना जाता है।

