रज्जब उल मुरज्जब, 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
क्या मैं तुम्हें ये ना बता दूँ के जहन्नुम किस पर हराम है ? फिर फरमाया, जहन्नुम उस शख्स पर हराम है, जो लोगों के साथ नरमी और सहूलियत के मामले इख्तियार करें।
- तिर्मिज़ी
सिविल अस्पताल, खैरागढ़ में भर्ती मरीजों को फल तकसीम किया गया
✅ नई तहरीक : खैरागढ़
ताअलीम के शोबे में गुजिश्ता 7 सालों से मुतवातिर बेहतर काम कर रही तंजीम इकरा फाउंडेशन ने मुल्क की पहली मुस्लिम खातून आसातजा फातिमा शेख की यौमे पैदाईश पर जुमेरात, 9 जनवरी को उन्हें खेराजे अकीदत पेश किया।इकरा फाउंडेशन के अहलकारों व अराकीन ने दोपहर 3 बजे सिविल अस्पताल में भर्ती मरीजों को फल व बिस्किट तकसीम किया और मरीजों का हाल-चाल जाना। उन्होंने उनके जल्द सेहतयाब होने की कामना की। इस मौके पर इकरा फाउंडेशन के बानी कारकुन व नपा के नायब सदर अब्दुल रज्जाक खान, फाउंडेशन के सदर खलील कुरैशी, खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. विवेक बिसेन, फाउंडेशन के खजांची शमशुल होदा खान, सेक्रेटरी व जिला पत्रकार संघ के नायब सदर मोहम्मद याहिया नियाज़ी, सीनियर अराकीन कदीर कुरैशी व शाहरुख खान समेत दीगर अराकीन मौजूद थे।
लड़कियों की ताअलीम के लिए काफी काम किए
मुल्क की पहली मुस्लिम खातून असातजा फातिमा शेख ने सोशलवर्कर सावित्री बाई फुले के साथ लड़कियों और दलितों की ताअलीम पर काफी काम किए। एक बार जब सावित्रीबाई फुले बीमार पड़ गई, फातिमा शेख ने अकेले ही पूरे स्कूल की जिम्मेदारी संभाली थी। खास बात ये है कि सावित्री बाई फुले को स्कूल खोलने के लिए फातिमा शेख ने ही अपनी जगह दी थी।
इकरा फाउंडेशन के बानी कारकुन अब्दुल रज्जाक खान व फाउंडेशन के सदर खलील कुरैशी ने कहा कि मुल्क में ताअलीम के शोबे में फातिमा शेख के अजीम कारनामों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। फाउंडेशन के सेक्रेटरी मोहम्मद याहिया नियाज़ी ने कहा कि खातून होते हुए भी ताअलीम के शोबे में फातिमा शेख ने मुल्क में तारीख रकम की है।