पार्क फाउंडेशन, छत्तीसगढ़ और सिविल सोसाइटी दुर्ग-भिलाई की ओर से शिक्षाविद् प्रोफेसर आरिफ का व्याख्यान
आज के दौर को बताया संविधान के लिए सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण
पार्क फाउंडेशन, छत्तीसगढ़ और सिविल सोसाइटी दुर्ग-भिलाई की ओर से संविधान के महत्व पर विगत मंगलवार को सुपेला कॉफी हाउस में व्याख्यान का आयोजन किया गया। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहे शिक्षाविद् मोहम्मद आरिफ ने इस दौरान भारतीय संविधान के निर्माण का इतिहास बताते हुए इससे जुड़े कई रोचक तथ्यों का खुलासा किया। उन्होंने आज के दौर को संविधान के लिए सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण बताते हुए 26 नवंबर 1949 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर के संविधान सभा में दिए उद्बोधन का विशेष रूप से उल्लेख किया।संविधान एवं भारत की संकल्पना विषय पर सम्बोधित करते हुए नागरिक अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध देश में सम्मानित शिक्षाविद, अध्येता इतिहासकार प्रोफेसर आरिफ ने कहा कि हमारा संविधान प्रजा से नागरिक बनने की प्रक्रिया का अहम दस्तावेज है और यह कड़े संघर्ष और अनगिनत बलिदान से हासिल आज़ादी को गणतंत्र में स्थापित करने का अहम पड़ाव है।
उन्होंने बताया कि आजादी के बाद हमारा संविधान तमाम तैयारियों के बाद बनाया गया लेकिन इसके पहले ब्रिटिश काल में 1934 में वामपंथी नेता एमएन राय ने एक ड्राफ्ट तैयार किया था जिसमें देश की भविष्य की शासन प्रणाली का खाका तैयार किया गया था। हालांकि तब महात्मा गांधी व अन्य प्रमुख नेताओं ने इसे समय से आगे का दस्तावेज बताया था और इस पर आज भी ज्यादा चर्चा नहीं होती है। प्रो. आरिफ ने इस बात का उल्लेख किया कि डॉ. आंबेडकर ने संविधान सभा में 26 नवंबर 1949 को खास तौर पर जोर देते हुए कहा था कि हमारा संविधान कितना भी बेहतर हो, अगर इसे लागू करने वालों की नीयत सही नहीं होगी तो हमारा संविधान अपना मूल्य खो देगा। इसलिए आज जरूरत नागरिकों को और ज्यादा जागरूक रहने की है। नागरिकों को ऐसे लोगों को चुनना होगा, जो हमारे संविधान को ईमानदारी से लागू करवा सकें।
उन्होंने कहा कि संविधान देश की स्वतंत्रता, एकता और अखंडता का मूल है जो लोक की ताकत को स्थापित करता है जिसे रचते समय संविधान सभा में एक-एक शब्द पर लम्बी-लम्बी बहसे हुई। देश के लिए संविधान बनाए जाने वाली सभा में सभी वर्ग, संप्रदाय और समुदाय के लोगों का प्रतिनिधित्व गया था। यह सभी की सहमति और अनुमोदन से तैयार हुआ है। उन्होंने संविधान लिखे जाने में महात्मा गांधी के साथ ही नेहरू, आंबेडकर और पटेल की भूमिका पर भी विस्तार से बात की।
धर्म और धार्मिक स्वतंत्रता पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि संविधान मे शुरुआत में ही यह स्पष्ट है कि राज्य का कोई धर्म नहीं होगा मगर राज्य हर धर्म को स्वतंत्रता और संरक्षण प्रदान करेगा। इसमें ही धर्मनिरपेक्षता अंतर्निहित है जो हमारे संविधान की आत्मा की तरह है। इस दौरान प्रोफेसर आरिफ ने श्रोताओं के प्रश्नों एवं शंकाओं का जवाब भी दिया।
इसके पहले सुबह प्रोफेसर आरिफ ने शैल देवी महाविद्यालय, अंडा में विद्यार्थियों को संविधान और इसके अंतर्निहित मूल्यों पर संबोधित किया। इधर कॉफी हाउस सुपेला में आयोजित कार्यक्रम में अंत में आभार प्रदर्शन सिविल सोसाइटी की ओर से अभय तारे ने दिया। आयोजन में सिविल सोसाइटी दुर्ग-भिलाई के अध्यक्ष विश्वरत्न सिन्हा, सचिव मेहरबान सिंह, उपाध्यक्ष शशि यादव, क़े ज्योति, पार्क फाउंडेशन के उमा प्रकाश ओझा, अध्यक्ष, जीवेश चौबे सचिव, रियाज अम्बर उपाध्यक्ष मौजूद थे।
वहीं अंचल के प्रमुख लोगों में डॉ. रमाकांत दानी, आरपी शर्मा, शेष नारायण शर्मा, राजकुमार गुप्ता, विनोद साव, विश्वास मेश्राम, कमलेश वर्मा, बृजेंद्र तिवारी, डॉ. एसके अग्रवाल और प्रसाद राव सहित अन्य लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।