﷽
फरमाने रसूल ﷺ
गंगा जमुनी तहज़ीब और अमनो अमान को लेकर फ़राज़ एकेडमी पीपलसाना में हुआ मुशायरा और कवि सम्मेलन
प्रोग्राम की शुरुआत फरहत अली फरहत के नातिया कलाम से हुई। सत्यवती सिंह सत्या ने सरस्वती वंदना पेश की। सदारत बरेली के मशहूर शायर विनय सागर जायसवाल ने की। प्रोग्राम में सत्यवती सत्या, अब्दुल हमीद बिस्मिल, गज़ल राज, सरफराज हुसैन फ़राज़, शैलेन्द्र सागर, अमर सिंह बिसेन, दीपक मुखर्जी, राम प्रकाश सिंह ओज, रामकुमार अफ़रोज़, राम स्वरूप मौज , एडवोकेट तंजीम शास्त्री, तहसीन मुरादाबादी, शायर मुरादाबादी, दावर मुरादाबादी, नसीम अख्तर भोजपुरी, डॉक्टर आज़म बुराक, जीशान राही, सैफ उर रहमान यूनुस, नफीस पाशा साहब मुरादाबादी खुसूसी मेहमान तौर पर मौजूद थे।
इन्हीं के बन के रहें हम गुलाम दुनिया में।
- फरहत अली फरहत
मेरे कदम जो रोके, हवाओं में दम नहीं,मैं घर से आज निकला हूं मां की दुआ के साथ।
- विनय साग़र जायसवाल
मां को बारिश में छाता थमाया,तो वो सारा मेरी तरफ ही झुकती रही।
- अरुण कुमार गाजियाबादी
या खुदा महफूज रखना आशियाने को मेरे,वो गिराते फिर रहे हैं शहर भर में बिजलियां।
- सरफ़रज़ हुसैन फ़राज़
जो भी होना है, आम हो जाए,अब तो किस्सा तमाम हो जाए।
- सत्यवती सिंह सत्या
बड़े ग़म हैं ज़िंदगी में उन्हें कैसे हम छिपाएं,सभी लोग कह रहे हैं कोई दास्तां सुनाएं।
मैं हूं खुश नसीब साहब न मुझे हरा सकोगे
मेरी माँ की मेरे यारो मेरे पास हैं दुआएं।
- नफ़ीस पाशा मुरादाबादी
प्यार की ज्योति जलाएं,हम मुहब्बत के फूलों को महकाएं हम।
- तंजीम शास्त्री बरेलवी
पहाड़े को मैं उल्टा पढ़ रहा हूं,मैं छोटा हूं मेरा बेटा बड़ा है।
- तहसीन मुरादाबादी
आदमियत के विषय में बोलने से पेशतर,आदमी को दर्द का अहसास होना चाहिए।
- रामकुमार अफ़रोज़ बरेलवी
होता नहीं खराब है, दुनिया का हर बशर,मिलकर ज़रा खुद ही से बात कीजिए।
- राम स्वरूप मौज बरेलवी
नाम रक्खा था सागर बड़े शोक से,चुल्लू भर पानी सी आज औकात है।
- शैलेश सागर बरेलवी
राहे वफ़ा में जो धोखे हजार देता है ,ख्याल उसका ही दिल को क़रार देता है।
- नसीम अख्तर भोजपुरी
उल्टे सीधे पड़े हैं पाँव मेरे,ज़ख्म देते हैं अब खड़ाऊं मेरे।
- शायर मुरादाबादी
कष्टों को सहकर सुख देती है,मां तो केवल मां होती है।
- राज बरेलवी
नामे वफ़ा को दिल से जो तुमने मिटा दिया,मिट्टी में हसरतों को हमारी मिला दिया।
- डॉक्टर आज़म बुराक पीपलसाना
जो दुश्मन जान के निकले,मेरी पहचान के निकले।
- जीशान राही मीरगंजवी
ऐसा लगता नहीं इलहाम से आए हुए हैं,शेर ये उतरे नहीं खुद से उतारे हुए हैं।
- सैफ उर रहमान
हो न जाएं ये परिंदें बे वतन,जल न जाएं मौसम-ए-गुल में चमन।
- अब्दुल हमीद बिस्मिल
प्रोग्राम के दौरान शायर तहसीन मुरादाबादी के ग़ज़ल संग्रह ग़ज़ल पाठशाला का शायर विनय साग़र जायसवाल बरेली के हाथों इजरा अमल में आया। प्रोग्राम की निजामत शायर सरफराज हुसैन फ़राज़ ने की।