Top News

सपा लीडर नसीम के शिवलिंग पर जल चढ़ाने के मामले ने पकड़ा तूल, पुजारियों ने किया मंदिर का शुद्धिकरण

 जमादी उल ऊला 1446 हिजरी 


फरमाने रसूल ﷺ 

दरूद तुम्हारे सब गमो के लिए काफी होगा और इससे तुम्हारे गुनाह बख्श दिए जाएंगे।
- तिर्मिज़ी 
सपा लीडर नसीम के शिवलिंग पर जल चढ़ाने के मामले ने पकड़ा तूल, पुजारियों ने किया मंदिर का शुद्धिकरण
image google

✅ कानपुर : आईएनएस, इंडिया

कानपुर के सीसा मऊ असेंबली सीट से समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार नसीम सोलंकी के मंदिर जा कर शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मुआमला तूल पकड़ता जा रहा है। एक ओर नसीम सोलंकी के ख़िलाफ़ ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के क़ौमी सदर मौलाना मुफ़्ती शहाब उद्दीन रिज़वी ने फ़तवा जारी किया है तो दूसरी ओर मंदिर के पुजारियों की जानिब से मंदिर का शुद्धिकरण करने की खबर है। 
    आल इंडिया मुस्लिम जमात की जानिब से जारी फतवे में नसीम की इस हरकत को शरीयत के खिलाफ बताया गया है। हालांकि नसीम सोलंकी ने फतवे पर किसी तरह का रद्द-ए-अमल ज़ाहिर करने से इनकार कर दिया। नसीम सोलंकी ने दीवाली के दिन शिव मंदिर में पूजा करने के बाद दीप जलाए थे और शिवलिंग पर जल चढ़ाया था। उसकी वीडियो सोशल मीडीया पर वाइरल होने के बाद कई तरह के सवाल उठने लगे। 
    नसीम सोलंकी ने जिस मंदिर में शिवलिंग पर जल चढ़ाया था, बाद में उसका गंगा जल से शुद्धीकरण किया गया। मुआमले में मंदिर के पुजारी ने कहा कि वो (नसीम सोलंकी) एक मुस्लिम ख़ातून हैं, उन्होंने मंदिर आकर जल चढ़ाया है। नसीम सोलंकी अगर हिंदू मज़हब अपना लें तो कोई दिक़्क़त नहीं। हालाँकि पुजारी ने इस बात की तसदीक़ ज़रूर की कि उनके शौहर इर्फ़ान सोलंकी कभी भी मंदिर के अंदर नहीं आए। 
    मंदिर में दाख़िले के बाद अपने ख़िलाफ़ हिंदू और मुस्लिम मज़हबी रहनुमाओं की तरफ़ से दिए गए बयानात पर समाजवादी पार्टी उम्मीदवार नसीम सोलंकी ने कहा कि ''मेरा मक़सद किसी मज़हब की तौहीन करना नहीं है। मुझे फ़तवे पर कुछ नहीं कहना है।' साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि ''मंदिर में पूजा करने के बाद वे गुरुद्वारा भी गई, उन्होंने चर्च जाने की भी बात कही। लेकिन इस पर कोई बात नहीं कर रहा है। काबिल-ए-ज़िक्र है कि नसीम सोलंकी के मुशरिकाना अमल के ख़िलाफ़ तबसरा करते हुए मुफ़्ती शहाब उद्दीन रिज़वी बरेलवी ने कहा है कि नसीम सोलंकी शरीयत की नज़र में मुजरिम हैं। इस्लाम में मूर्ती पूजा करना शिरकिया अमल है। अगर कोई मूर्ती पूजा करता है तो वो अज़ रूए शरा मुर्तद हो जाता है। अगर कोई अनजाने में ऐसा करता है तो उसे कफ़्फ़ारा अदा करना चाहिए।

Post a Comment

if you have any suggetion, please write me

और नया पुराने