आसाम रेप केस : मुबय्यना मुल्ज़िम तफ़ज़्ज़ुल की नहीं पढ़ाएंगे नमाज-ए-जनाजा न कब्रिस्तान में करने देंगे तदफीन

सफर उल मुजफ्फर - 1446 हिजरी

  हदीस-ए-नबवी ﷺ  

नबी करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया : तीन काम ऐसे हैं कि अगर लोगों को उनकी फ़ज़ीलत मालूम हो जाए तो उनकी तलाश में वो ऊंटों की तरह दौड़ पड़ेंगे इनमें पहला आज़ान देना दूसरा पहली साफ हासिल करना और तीसरा जुमआ के लिए सुबह सवेरे घर से निकलना। 

- सहीह बुख़ारी



✅ गोहाटी : आईएनएस, इंडिया 

आसाम के ज़िला नागोन के ढींग के बारभेटी गांव के लोगों ने नौ उम्र लड़की के साथ हालिया इस्मतदरी के मर्कज़ी मुल्ज़िम तफ़ज़्ज़ुल इस्लाम की आख़िरी रसूमात यानी जनाज़ा की इजाज़त ना देने का फ़ैसला किया है। गांव वालों ने नमाज़ जनाज़ा से परहेज़ करने के साथ ही क़ब्रिस्तान में आख़िरी रसूमात अदा न करने देने का भी फैसला किया है। 
    मामले को लेकर गांव में दो धड़ बन गए हैं। एक धड़े ने नमाज-ए-जनाजा न पढ़ने और कब्रिस्तान में तदफीन न करने देने के अलावा तफज्जुल के खानदान के बायकाट का फैसला किया है तो दूसरी ओर दूसरा धड़ा मृतक के साथ हैं। गांव वालों ने ये फ़ैसला तफज्जुल के नदी में डूबकर मरने की इत्तेला मिलने के बाद किया। तफ़ज़्ज़ुल को पुलिस वाकिये की तहक़ीक़ात के लिए मौके पर लेकर गई थी। पुलिस जब क्राईम सीन क्रिएट कर रही थी, मुल्ज़िम तफ़ज़्ज़ुल पुलिस की गिरफ्त से फ़रार होकर तालाब में कूद गया था। 
    तफ़ज़्ज़ुल की लाश बरामद होने के बाद मुख़्तलिफ़ गिरोहों और तन्ज़ीमों ने अपने रद्द-ए-अमल का इज़हार किया है। कुछ लोगों का ख़्याल है कि मुल्ज़िम की मौत की सूरत में सुबह अच्छी ख़बर आई जबकि दूसरी जानिब कई तंज़ीमें इस जुर्म में मुलव्वस दीगर दो मुल्ज़िमान को पकड़ कर सज़ा देने का मुतालिबा कर रही हैं। बारभेटी गांव के दो शरीक मुल्ज़िमान मफ़रूर (फरार) बताए जाते हैं। 

क्या था मामला 

तीन बदमाशों ने जुमेरात की शाम कोचिंग से वापसी पर दसवीं जमात की एक तालिबा की इस्मतदरी की थी और उसे नीम बेहोशी में सड़क के किनारे छोड़ दिया था। तालिबा, इस वक़्त ज़ेर-ए-इलाज है। इस वाकिये से रियासतभर में एहतिजाज की लहर दौड़ गई है। सबने मुत्तफ़िक़ा तौर पर मुतालिबा किया कि मुजरिमों को मुनासिब सज़ा दी जाए। आसाम के डीजीपी जीपी सिंह और वज़ीर ने जुमा को ढींग का दौरा किया। मुख़्तलिफ़ तन्ज़ीमों के नुमाइंदे अपना एहतिजाज दर्ज कराने के लिए ढींग पहुंचे और इस घिनौने जुर्म के मुर्तक़िब अफ़राद को सख़्त सज़ा देने का मुतालबा किया। 


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