कौन हैं सादिक खान जो लंदन का तीसरी बार मेयर बनें

जीकाअदा-1445 हिजरी

हदीस-ए-नबवी ﷺ

जो कोई इल्म की तलाश में किसी राह पर चलता है, अल्लाह ताअला उसके लिए जन्नत की राह आसान कर देता है। 
- इब्ने माजा

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वालिद लंदन में चलाते थे बस
बेटे ने तीसरी बार उठाया मेयर का हलफ

Sadique Khan 

✅ लंदन : आईएनएस, इंडिया

पाकिस्तानी बस ड्राईवर के बेटे सादिक़ ख़ान ने तीसरी बार मेयर लंदन का हलफ़ उठा कर तारीख़ रक़म कर दी। नौमुंतख़ब मेयर लंदन सादिक़ ख़ान ने मंगल को अपने ओहदे का हलफ़ उठाया। इस मौक़ा पर उन्होंने अपने वालदैन को ज़बरदस्त ख़िराज-ए-तहिसीन पेश करते हुए कहा कि वालिद ने बतौर बस ड्राईवर इस शहर की ख़िदमत की, वे जब बर्तानिया आए थे, उन दिनों बर्तानिया में नसल परस्ती उरूज पर थी। दुकानों और गेस्ट हाऊसज़ की खिड़कियों पर लिखा होता था, स्याह फ़ाम, आइरिश और कुत्तों का दाख़िला मना है। 
    उन्होंने कहा कि पहली नसल की क़ुर्बानी के बाद एक एशियाई तारिके वतन का बेटा जुनूबी लंदन की काउंसिल स्टेट में बड़ा हो कर इस शहर का मेयर बन गया। तक़रीब के शुरका (कार्यक्रम में शामिल लोगों) ने देर तक तालियाँ बजा कर सादिक़ ख़ान को ख़िराज-ए-तहिसीन पेश किया। वाजेह रहे कि 53 साला सादिक़ ख़ान लंदन के इलाक़े टूटिंग में पैदा हुए, उन्होंने यूनीवर्सिटी आफ़ लंदन से क़ानून की डिग्री हासिल की। सादिक़ ख़ान ने सियासत का आग़ाज़ काउंसलर बन कर किया। 1970 में लंदन में पैदा होने वाले सादिक़ ख़ान के वालदैन पाकिस्तान से हिजरत कर बर्तानिया आए थे। उनके वालिद बस ड्राईवर थे और उनकी इबतिदाई परवरिश भी काउंसलर की जानिब से फ़राहम करदा फ़्लैट में हुई थी। 
    सादिक़ ख़ान पहली मर्तबा 2016 में लंदन के मेयर मुंतख़ब हुए थे। 2016 में उन्होंने कंज़रवेटिव उम्मीदवार और साबिक़ पाकिस्तानी वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान की साबिक़ा अहलिया जमायमा के भाई ज़ैक़ गोल्ड स्मिथ को शिकस्त दी थी। मेयर लंदन बनने से पहले सादिक़ ख़ान ने 2005 से 2016 तक रुक्न पार्लियामेंट के तौर पर ख़िदमात अंजाम दीं। पाकिस्तानी बस ड्राईवर के बेटे ने मेयर लंदन बनने की हेट्रिक मुकम्मल कर ली है। 

कहा, हमने तक़सीम का जवाब मुत्तहिद होकर दिया

                                                                                                                                                                                                     -  Image Google
    लंदन के मेयर सादिक़ ख़ान का रिकार्ड तीसरी मर्तबा मेयर मुंतख़ब होना बर्तानिया की हुक्मरा जमात कन्ज़र्वेटिव पार्टी के लिए इंतिख़ाबात से कब्ल ये बड़ा धचका क़रार दिया जा रहा है। हफ़्ते को इंतिख़ाबी नताइज के मुताबिक़ पाकिस्तानी नज़ाद (मूल के) सादिक़ ख़ान को 10 लाख से ज़ाइद यानि 44 फ़ीसद वोट मिले। उन्होंने अपनी मद्द-ए-मुक़ाबिल कन्ज़र्वेटिव पार्टी की सूज़न हाल से 11 फ़ीसद ज़ाइद वोट हासिल किए। 
    ख़्याल रहे कि मुक़ामी हुकूमतों के इंतिख़ाबात के लिए जुमेरात को वोटिंग हुई थी। सादिक़ ख़ान 2016 में पहली मर्तबा लंदन के मेयर मुंतख़ब हुए थे। माहिरीन (विशेषज्ञ) इस इलेक्शन को सादिक़ ख़ान के लिए एक बड़ा चैलेंज क़रार दे रहे थे। खासतौर पर गुजिश्ता बरस लंदन में चाक़ू से हमलों के वाक़ियात और जराइम की शरह (दर) में इज़ाफे़ पर उन्हें तन्क़ीद का सामना था। सादिक़ ख़ान के हामियों का कहना है कि बतौर मेयर उनकी कारकर्दगी ने उनके तीसरी मर्तबा मुंतख़ब होने की राह हमवार की है जिसमें घरों की तामीर, ट्रांसपोर्ट अख़राजात में कमी, छोटे बच्चों के लिए स्कूल में मुफ़्त खाना और खासतौर पर अक़ल्लीयतों के हवाले से उनकी पालिसीयां काबिल-ए-ज़िक्र हैं।  
    सादिक़ ख़ान के नाक़िदीन (आलोचकों) का कहना है कि उन्होंने लंदन में जराइम की बढ़ती शरह को नज़रअंदाज किया। शहर में एंटी कार पालिसी और वीकएंडज पर फ़लस्तीनीयों के हक़ में होने वाले मुज़ाहिरों की इजाज़त दी। वाजेह रहे कि सादिक़ ख़ान ने आलूदगी फैलाने वाली कारों पर जुर्माना बढ़ाने का ऐलान किया था जिसका मक़सद लंदन की फ़िज़ा को माहौल दोस्त बनाना था। ताहम इस फ़ैसले पर बाअज़ हलक़ों की जानिब से उन्हें तन्क़ीद का भी सामना करना पड़ा था। इंतिख़ाबी नताइज के ऐलान के बाद ख़िताब करते हुए सादिक़ ख़ान का कहना था कि हमें मुसलसल मनफ़ी (निगेटिव) मुहिम का सामना था। लेकिन मुझे ख़ुशी है कि हमने ख़ौफ़ का जवाब हक़ायक़ के साथ, नफ़रत का जवाब उम्मीद के साथ और तक़सीम करने की कोशिशों का मुत्तहिद होकर दिया। 
    सनीचर को होने वाले इंतिख़ाबात में लीवरपूल, ग्रेटर मानचैसटर और वैस्ट यार्क शाइर से भी लेबर पार्टी के मेयर दुबारा मुंतख़ब हो गए। माहिरीन के मुताबिक़ लेबर पार्टी के लिए बलदियाती इंतिख़ाबात में सबसे अच्छा रिज़ल्ट वैस्ट मिडलैंड में रहा, जहां से कन्ज़र्वेटिव उममीदवार को शिकस्त का सामना करना पड़ा। लेबर पार्टी ने इंगलैंड की बहुत सी ऐसी काउंसिल में भी कामयाबी हासिल की है, जहां कई बरसों से कन्ज़र्वेटिव पार्टी का कंट्रोल था। माहिरीन के मुताबिक़ ऋषि सूनक के लिए ये बाइस इतमीनान होगा कि इंगलैंड के शुमाल मशरिक़ में टीज़ वैली के कन्ज़र्वेटिव मेयर दुबारा कामयाब हो गए। ताहम वेस्ट मिडलैंड में एंडी स्ट्रीट की लेबर पार्टी के रिचर्ड पारकर के हाथों शिकस्त उनकी तवक़्क़ुआत के बरख़िलाफ़ है। माहिरीन कहते हैं कि लेबर पार्टी के लिए बलदियाती इंतिख़ाबात में एक मनफ़ी पहलू मुस्लिम अक्सरीयती इलाक़ों में कम वोट पड़ना है, जिसकी वजह लेबर पार्टी का इसराईल नवाज़ मौक़िफ़ समझा जाता है। 
    लेबर पार्टी के रहनुमा कैअर स्टारमर ने एक बयान में तस्लीम किया कि उनके मुस्लिम वोटरज़ के साथ कुछ मसाइल रहे हैं। ताहम माहिरीन के मुताबिक़ स्टारमर आइन्दा इंतिख़ाबात के बाद बर्तानिया का वज़ीर-ए-आज़म बनने के लिए अब मज़बूत पोज़ीशन पर आ गए हैं। वाज़िह रहे कि बर्तानवी वज़ीर-ए-आज़म ऋषि सूनक के पास इंतिख़ाबात की तारीख़ का ऐलान करने का इख़तियार है जिसके लिए वो जून के बाद की तारीख़ देने का इंदीया दे चुके हैं। ताहम स्टारमर फ़ौरी इंतिख़ाबात का मुतालिबा कर हैं। 

लेबर पार्टी को मुसलमान वोटरों से नहीं मिल रही हिमायत 

    बर्तानिया की अपोज़ीशन लेबर पार्टी को मुक़ामी इंतिख़ाबात में मुसलमान वोटरों की तरफ़ से हिमायत में कमी का सामना करना पड़ रहा है जिसकी वजह से इस साल के आख़िर में होने वाले आम इंतिख़ाबात से कब्ल पार्टी के अंदर तशवीश (चिंता) पाई जा रही है। जुमेरात को मुल्कभर में बलदियाती (कार्पोरेशन) इंतिख़ाबात के इनइक़ाद के बाद ग़ज़ा जंग पर पार्टी के मौक़िफ़ पर तनाज़आत की वजह से ज़्यादा मुस्लमान आबादी वाले इलाक़ों में लेबर पार्टी को नुक़्सान उठाना पड़ा। 
    ख़बर के मुताबिक़ एक एमपी ने कहा कि लेबर पार्टी को अपनी कारकर्दगी पर सवालात के जवाब में कुछ सोच समझ कर जवाब देना होंगा। दी गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक़ मजमूई तौर पर पार्टी ने इंतिख़ाबात के दौरान की 140 से ज़्यादा नशिस्तें हासिल कीं लेकिन इन कामयाबियों को वेस्ट मिडलैंडज़ की मुम्किना शिकस्त और लंदन के मेयर के लिए कन्ज़र्वेटिव उम्मीदवार मौजूदा मेयर सादिक़ ख़ान के ख़िलाफ़ दौड़ में तवक़्क़ो से ज़्यादा आगे निकए गए। मानचैसटर यूनीवर्सिटी में सियासत के प्रोफेसर राब फ़ोर्ड ने कहा कि रिवायती तौर पर देही (ग्रामीण) और सफेद फ़ाम इलाक़ों पर तवज्जा मर्कूज़ करने के बाद लेबर को मुस्लमान आबादी वाले इलाक़ों में हिमायत में काफ़ी नुक़्सान हुआ है और वो तरक़्क़ी पसंद इलाक़ों और ज़्यादा तलबा वाले इलाक़ों में थोड़ा पीछे जा रहे हैं। 
    


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