रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी
विसाल (11 रमज़ान)
हज़रत ख्वाजा सय्यद मिस्बाहुल हसन अलैहिर्रहमा, फफूंद शरीफ
शब-ए-कद्र
'' हजरत आयशा रदि अल्लाहु अन्हु ने फरमाया -या रसूल अल्लाह ﷺ अगर मुझे शब-ए-कद्र मिल जाए तो क्या दुआ करु। तो आप ﷺ ने फरमाया -अल्लाहुम्मा इन्ना-क अफुवन तुहिब्बुल अफवा फा-अ-फो अन्नी। पढ़ा करो। ''(तर्जुमा- या अल्लाह तू माफ करने वाला है और माफ करने को पसंद करता है इसलिए मुझे माफ फरमा)
- सुनन इब्ने माजा
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✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
गुमराहकुन इश्तिहारात के मुआमले में अदालत की सख़्ती के बाद बिलआख़िर पतंजलि आयूर्वेद ने माफ़ी मांग ली। कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बाल कृष्ण की जानिब से सुप्रीमकोर्ट में हलफ़नामा दाख़िल करते हुए इन इश्तिहारात की इशाअत पर अफ़सोस का इज़हार किया है और ग़ैर मशरूत (निशर्त) माफ़ी मांगी है। अपने हलफ़नामा में आचार्य बाल कृष्ण ने ये भी कहा है कि आइन्दा ऐसी ग़लती दुबारा नहीं करेंगे।वाजेह रहे कि अदालत ने हुक्म के बावजूद अदवियात (दवाईयों) के गुमराह कुन इश्तिहारात देने पर नोटिस जारी किया गया था। 2 अप्रैल को बाबा राम देव और आचार्य बाल कृष्ण को भी ज़ाती तौर पर हाज़िर होने को कहा गया था। 21 नवंबर को अदालत ने पतंजलि से कहा था कि वो संगीन बीमारीयों के मुस्तक़िल ईलाज के तौर पर अपनी दवाईयों की तशहीर बंद करे और एलोपैथी को ख़राब बताने वाले अपने इश्तिहारात को रोक दे। पतंजलि ने कहा कि इस हुक्म के बाद शाइआ होने वाले कुछ इश्तिहारात में ग़लती से ऐसे दावे लिखे गए थे जिन्हें अदालत ने मना किया था।
इससे कब्ल जस्टिस हेमा कोहली और जस्टिस एहसान उद्दीन अमान अल्लाह की बेंच ने पतंजलि आयूर्वेद और इसके एमडी आचार्य बाल कृष्ण की जानिब से पहले जारी किए गए नोटिस का जवाब दाख़िल ना करने पर सख़्त एतराज़ किया था। बेंच ने पतंजलि के वुकला से पूछा था कि अदालत को दिए गए हलफनामे की ख़िलाफ़वरज़ी करने पर उनके ख़िलाफ़ तौहीन-ए-अदालत की कार्रवाई क्यों ना की जाए। सुप्रीमकोर्ट इंडियन मेडीकल एसोसीएशन (आईएमए) की दरख़ास्त पर समाअत कर रही थी जिसमें राम देव पर कोविड वैक्सीनेशन मुहिम और जदीद अदवियात के ख़िलाफ़ मुहिम चलाने का इल्ज़ाम लगाया गया है।