मशाहीर उलमा के हाथों मौलाना नूर आलम खलील अमीनी की हयात-ओ-खिदमात पर मुश्तमिल नायाब हुस्न की तालीफ 'इक शख़्स दिल-रुबा सा का इजरा
मुजफ़्फर पुर : नौजवान कलमकार नायाब हुस्न कासिमी की अरबी-ओ-उर्दू के मारूफ अदीब-ओ-मुसन्निफ मौलाना नूर आलम खलील अमीनी की हयात-ओ-खिदमात पर किताब ''इक शख़्स दिल रुबा सा' की तकरीब-ए-इजरा मुनाकिद हुई, जिसकी सरपरस्ती हजरत मौलाना काजी मुहम्मद इमरान कासिमी शेखुल हदीस जामिआ इस्लामिया कासिमिया दारुल उलूम सीतामढ़ी ने की और सदारत मुफ़्ती सना उल हुदा कासिमी नायब नाजिम इमारत शरयह, पटना ने फरमाई, जबकि इस तारीखी तकरीब में मेहमानान खुसूसी की हैसियत से हजरत मौलाना अब्दुल मनान कासिमी, मौलाना इजहार उल हक मजाहरी, मौलाना सफी अल रहमान कासिमी, मौलाना जकरीया कमर कासिमी, मौलाना अनवार अल्लाह फलक कासिमी, डाक्टर सुहैब, माअरूफ सहाफी रिजवान उल-हक कासिमी, नूर अल्लाह जावेद कासिमी, मुफ़्ती नेअमत अल्लाह कासिमी मक्की, मुफ़्ती मुहम्मद अंसार कासिमी वगैरा ने शिरकत की। वहीं अपनी मशरूफियतों के बावजूद वजीर (मंत्री) राम सूरत कुमार ने शिरकत की।
तकरीब को खिताब करते हुए वजीर मौसूफ ने कहा कि हिंदू मुस्लिम समाज को एक प्लेटफार्म पर लाना हम सबकी अहम जिम्मेदारी है हम सब मिलकर खूबसूरत बिहार बनाएंगे। नायाब हुस्न कासिमी ने अपनी तालीफ ‘इक शख़्स दिल-रुबा सा’ पर मुख़्तसर मगर जामा रोशनी डालते हुए कहा है कि ये किताब तीन हिस्सों में मुनकसिम है, पहला जुज हजरत मौलाना नूर आलम खलील अम्मीनी के अफ़्कार-ओ-ख़्यालात, जबान-ओ-अदब पर उनके दर्क, उनकी शख़्सियत-ओ-अखलाक के रोशन पहलूओं और तदरीसी खिदमात के तजकिरे पर मुश्तमिल है, जबकि दूसरा जुज हजरत अलैहि अलरहमा की खुद-नविश्त है और जुज 1982 से लेकर 2021 तक ''अलदाई' में शाइआ होने वाले मौलाना के मजामीन का ईशारीया पेश किया गया है
मौलाना अनवर जमाल कासिमी ने कहा कि ''इक शख़्स दिल रुबा सा' मौलाना नूर आलम खलील अम्मीनी की हयात-ओ-खिदमात पर उनके शागिर्द-ए-रशीद अजीजी नायाब हुस्न कासिमी की बेहतरीन तसनीफ है, जो उनके लिए खिराज-ए-अकीदत भी है और मयार के एतबार से ये एक दस्तावेजी और हवाला जाती किताब भी है, जिससे कई नसलें इस्तिफादा करेंगी। मौलाना जकरीया कमर कासिमी ने मौलाना अमीनी के इल्म-ओ-अदबी इमतियाजात पर रोशनी डाली। तकाीब की निजामत मौलाना काजी मुहम्मद इमरान ने फरमाई। उन्होंने खुतबा इस्तिकबालिया पेश करते हुए बहैसीयत सरपरस्त-ए-तकरीब तमाम मेहमानों का इस्तिकबाल किया और मौलाना अम्मीनी की हयात-ओ-खिदमात के रोशन पहलूओं पर बलीग अंदाज में इजहार-ए-ख़्याल फरमाया। मौलाना अब्दुल मनान कासिमी ने कहा, वक़्त अल्लाह की एक ऐसी नेअमत है कि दुनिया की तमाम दौलत-ओ-सरवत उसका बदल नहीं हो सकती, वक़्त की कदर की वजह से ही मौलाना नूर आलम खलील अमीनी इल्म की बुलंदी पर पहुंचे और अजीम खिदमात अंजाम दीं।
तकरीब के नज्म-ओ-इंतिजाम और उसे कामयाब बनाने वालों में मौलाना, कारी उजैर अखतर कासिमी, नौजवान सियासी ओ समाजी कारकुन मुहम्मद साकिब, जफीर अहमद, मौलाना सरफराज कासिमी, मुशीर अहमद, तौकीर अहमद, मौलाना अब्दुल माजिद वली कासिमी, मौलाना उमर मंजूर, हाफिज अब्दुस्सलाम वगैरह ने अहम रोल अदा किया, जबकि प्रोग्राम में सियासी, समाजी ओ मजहबी काइदीन के अलावा इलाका की इल्मी-ओ-समाजी शख्सियात ने बड़ी तादाद में शिरकत की।
इजरा - विमोचन
तकरीब - प्रोग्राम
दौरलत और सरवत - धन संपदा