तामीर मिल्लत का यौमे फतह मक्का इस्लाम की सर-बुलंदी के लिए काम करने का अजम
फतह मक्का इस्लाम की तारीख का एक ऐसा रोशन और दरखशां बाब है जिसके बगैर इस्लाम की ही नहीं बल्कि इन्सानियत की तारीख अधूरी है। मक्का में तौहीद की आवाज बुलंद करने की पादाश में कुफ़्फारे मक्का ने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम और सहाबा किराम रदिअल्लाहो अन्हों पर बे-इंतिहा मजालिम ढाए। यहां तक कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम और मोमिनीन हिजरत पर मजबूर हो गए। फिर आठ साल की मुद्दत में काया पलट गई और रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम दस हजार कुदसियों के हमराह 8 हिज्री में 20 रमजान को मक्का में वारिद हुए और ये अजीमुश्शान दरस दिया कि कोई इलाका फतह करने की सूरत में मुस्लमानों का किरदार क्या होना चाहीए।
इन ख़्यालात का इजहार मुकर्ररीन ने कुल हिंद मजलिस तामीर मिल्लत के जेर-ए-एहतिमाम मिस्री गंज में मुनाकिदा जलसा यौम फतह मक्का के मौका पर किया। इस जलसा की सदारत सदर तंजीम मुहम्मद जिया उद्दीन नय्यर ने की। उन्होंने कहा कि इसमें शक नहीं कि ये तारीख इस्लाम का सबसे अहम वाकिया है लेकिन अफसोस है कि मुस्लमानों ने इसको फरामोश कर दिया। ये वाकिया माह रमजान में पेश आया था जिससे ये मालूम होता है कि माह रमजान की दुनिया और दीन में किस कदर एहमीयत है। चीफ आरगनाइजजर मुहम्मद वहाज उद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि फतह मक्का के मौका पर आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने तमाम मक्का वालों के लिए अमन का ऐलान किया। अलबत्ता चंद गुस्ताखों को जहां मिलें कत्ल करने का हुक्म दिया, खाह वो काअबा का गिलाफ ही पकड़े हुए क्यों ना हो। इस से मालूम होता है कि अल्लाह और रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की शान में गुस्ताखी करने की सजा कितनी सख़्त है। यही वजह है कि मुस्लमान आज भी सब कुछ बर्दाश्त कर लेता है लेकिन रसूल करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की शान में गुस्ताखी बर्दाश्त नहीं कर सकता। मोतमिद उमूमी मुहम्मद उमर अहमद शफीक ने कहा कि फतह मक्का ये अबदी दरस देता है कि हक आ गया और बातिल चला गया। बातिल को तो जाना ही है। काबातुल्लाह अल्लाह का पहला घर है, मगर मुशरिकीन ने यहा ं360 बुत बिठा दिए थे। फतह मक्का के दिन इन तमाम बुतों को गिरा दिया गया और ये वाजिह कर दिया कि इबादत के लायक सिर्फ एक अल्लाह की जात है। नायब मोतमिद उमूमी मुहम्मद सैफ अल रहीम कुरैशी ने कहा कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने इस मौका पर ऐलान किया कि आज के दिन तमाम फखर और गरूर को मिटा दिया है और तुम में सबसे अफजल वही है जो सबसे ज्यादा परहेजगार है। कारी मलिक मुहम्मद इस्माईल की किरात कलाम पाक से जलसा का आगाज हुआ।