हाईकोर्ट में रियासती हुकूमत की सफाई
हम कोई मुदाखिलत नहीं कर रहे हैं
बंग्लूरू : आईएनएस, इंडिया
इस दलील के बाद कि जब सिखों को पगड़ी और अंग्रेज को सलीब के साथ क्लास जाने की इजाजत है तो हिजाब की इजाजत क्यों नहीं है, सरकार के पास जवाब नहीं बन पा रहा है और वह ये कहने की हिम्मत नहीं रखती कि सिखों को भी हिजाब की तरह पगड़ी के साथ जाना नहीं चाहिए। अब गोलमोल कर बात घुमाई जा रही है। कर्नाटक हाईकोर्ट रियासत के तालीमी इदारों में हिजाब पर पाबंदी को चैलेंज करने वाली मुख़्तलिफ अर्जियों की समाअत कर रहा है। समाअत के दौरान एडवोकेट जनरल ने कहा कि कैम्पस में हिजाब पहनने पर कोई पाबंदी नहीं, ये सिर्फ क्लासरूम के अंदर है। सरकार ने ये भी नहीं बताया कि ड्रेस कोड का नफाज अचानक बगैर नोटिस के कैसे करना पड़ा।
कर्नाटक में हिजाब तनाजा को लेकर हाईकोर्ट में रोजाना समाअत हो रही है। मंगल को समाअत के दौरान, रियासती हुकूमत की तरफ से एडवोकेट जनरल ने कहा कि हमारे पास कर्नाटक तालीमी इदारों के तौर पर एक कानून (दर्जा बंदी और रजिस्ट्रेशन कवानीन) मौजूद है। इस उसूल में मखसूस टोपी या हिजाब पहनने पर पाबंदी है। एडवोकेट जनरल ने मजीद कहा कि कैम्पस में हिजाब पहनने पर कोई पाबंदी नहीं, ये सिर्फ क्लासरूम के लिए है। मजहब की बुनियाद पर कोई इमतियाज नहीं है। जहां तक गैर इमदादी निजी अकल्लीयती इदारों का ताल्लुक है, हम यूनीफार्म कोड में मुदाखिलत नहीं कर रहे हैं और ये इदारों पर छोड़ दिया गया है कि वो फैसला करें। उन्होंने ये नहीं बताया है कि फिर नोटिस हुकूमत ने क्यों जारी किया है। एडवोकेट जनरल ने इस बात का इआदा किया कि हिजाब कहीं भी ममनूह नहीं है। लेकिन ये लाजिÞमी नहीं हो सकता, उसे मुताल्लिका खवातीन की पसंद पर छोड़ देना चाहिए।