हैदराबाद : हर आदमी को हमेशा इंसान बना रहना चाहिए और अपनी अनानीयत को दफन कर देना चाहिए। हमें दूसरों के बारे में उनकी जाहिरी हालत पर राय कायम नहीं करना चाहिए। हमें जांचने वाली जात सिर्फ खुदा की है। पदमभूषण एवार्ड याफ्ता जनाब मुमताज अली, चांसलर मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनीवर्सिटी ने पीर को इस्तिकबालिया नशिस्त से खिताब करते हुए इन ख़्यालात का इजहार किया। प्रोफेसर सय्यद एन उल-हसन, वाइस चांसलर, प्रोफेसर एसएम रहमत उल्लाह, वाइस चांसलर, प्रोफेसर शेख इश्तियाक अहमद, रजिस्ट्रार के अलावा डायरेक्टर्स और मुख़्तलिफ स्कूलों और मराकज के सलाहे कार और यूनीवर्सिटी आफ हैदराबाद के वाइस चांसलर प्रोफेसर बीजे राव ने इजलास में शिरकत की। जबकि कसीर तादाद में कौमी और बैन-उल-अकवामी सतह पर प्रोग्राम का आॅनलाइन मुशाहिदा किया गया।
जिसने अपने नफ्स को पहचाना, उसने रब को पहचाना
जनाब मुमताज अली ने नशिस्त को खिताब करते हुए आगे कहा कि जिसने अपने नफस को पहचाना उसने रब को पहचाना। उन्होंने यूनीवर्सिटी को अपने भरपूर तआवुन का यकीन दिलाते हुए कहा कि अगर किसी मुआमले में हुकूमत से नुमाइंदगी की जरूरत हो तो वो हाजिर हैं। उन्होंने मश्वरा दिया कि हुसूल-ए-इल्म में तालिबात की खुसूसी तौर पर हौसला-अफजाई की जानी चाहिए। उन्होंने हिन्दुस्तानी विरसा पर मुश्तमिल अदब की उर्दू जबान में मुंतकली का भी मश्वरा दिया। चांसलर ने इस मौका पर एक पौधा भी लगाया। प्रोफेसर सय्यद एन उल-हसन ने कहा कि जनाब मुमताज अली हमाजिहत शख़्सियत के मालिक हैं। उनका तआरुफ कराना मुश्किल अम्र है। वे कुरआन, इंजील, जबूर और तौरात पर गुफ़्तगु कर सकते हैं और दूसरी तरफ वेदों, उपनिषद, भगवद् गीता के बारे में भी इल्म रखते हैं। उर्दू यूनीवर्सिटी खुश-किस्मत है कि उसे जनाब मुमताज अली जैसी रुहानी शख़्सियत का हामिल चांसलर मिला है। उन्होंने बाबा फरीद उद्दीन, मौलाना जलाल उद्दीन रूमी, अमीर खुसरो, अबदुर्रहमान निजामी की सूफी रिवायत से भी रुहानी इकतिसाब किया है। वाइस चांसलर प्रोफेसर एसएम रहमत अल्लाह ने चांसलर का तआरुफ पेश किया। उन्होंने कहा कि जनाब मुमताज अली एक कसीर जिहत शख़्सियत के मालिक हैं जो एक समाजी मुसल्लेह, आलमी मुकर्रर, मुसन्निफ और माहिरे तालीम भी हैं। उन्होंने जनाब मुमताज अली के रुहानी मिशन के चार नकात बयान किए जिसे हर इन्सान को अपनाना चाहिए। उनमें इंसानियत का एहतिराम, फराइज मंसबी की अदायगी, अनानीयत से गुरेज, सेहत और माहौलियात का तहफ़्फुज शामिल हैं। इश्तियाक अहमद, रजिस्ट्रार ने कलिमात-ए-तशक्कुर अदा किए और इस मौका पर बसीरत अफरोज पैगाम देने के लिए चांसलर का शुक्रिया अदा किया। प्रोफेसर मुहम्मद फर्याद, इंचार्ज पब्लिक रिलेशन्ज आॅफीसर-ओ-सदर शोबा तरसील आम्मा-ओ-सहाफत ने कार्रवाई चलाई। जनाब मुमताज अली ने उर्दू यूनीवर्सिटी में तकरीबात का लोगो, जिसे इंस्टरक्शनल मीडिया सेंटर ने तैयार किया है, का इफ़्तिताह भी अंजाम दिया। प्रोफेसर एनउल हसन और जनाब मुमताज अली ने आईएमसी की तैयार करदा बैनुल-अकवामी एवार्ड याफताह फिल्मों ''नवा-ए-सरोश; मिर्ज़ा गालिब' वाइस आफ अंजुल और ''ट्रांसफारमंग इंडिया' की टीम को सर्टीफिकेट पेश किए। स्कूल बराए अल्सिना, लिसानियात-ओ-हिंदोस्तानियात, मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनीवर्सिटी; शोबा लिसानियात, अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी, इंडियन कौंसल आफ सोशल साईंस रिसर्च, नई दिल्ली और जीएलए यूनीवर्सिटी, मथुरा के इश्तिराक से बैनुल-अकवामी यौमे मादरी जबान के मौका पर वेबनार का एहतेमाम किया गया था। इस मौका पर खिताब करते हुए जनाब मुमताज अली ने कहा कि मादरी जबान दरअसल जबान की इब्तिदा है। आलमी यौमे मादर को हम आलमी यौमे जबान करार दे सकते हैं। मादरी जबान में तालीम-ओ-इकतिसाब तालीमी मैदान में इन्किलाब की हैसियत रखता है। हम अपनी मादरी जबान में ही सोचते हैं। प्रोफेसर सय्यद एन उल-हसन ने अपने खिताब में कहा कि कौमी तालीमी पालिसी 2020 सीखने के वसीअ मवाके के साथ और तलबा को अपनी मादरी जबान में तालीम हासिल करने के मवाके फराहम करती है। हिन्दोस्तान में ज्यादातर लोग दो जबानों के माहिर हैं, और जो हमारी बातचीत की जबान है, वो हमारी मादरी जबान होनी चाहिए। प्रोफेसर विरेंद्र कुमार मल्होत्रा, मेंबर सेक्रेटरी, इंडियन कौंसल आफ सोशल साईंस रिसर्च (आईसीएसएसआर), नई दिल्ली ने कहा कि 270 मादरी जबानों में से सिर्फ 47 जबानें जरीया तालीम के तौर पर इस्तिमाल होती हैं। मादरी जबान में तालीम हासिल करने से तलबा को मजमून से बेहतर आगाही होती है और उनमें नई जबानें सीखने के हुनर में भी निखार आता है। प्रोफेसर अनूप कुमार गुप्ता, वाइस चांसलर, जीएलए यूनीवर्सिटी, मथुरा ने कहा कि कसीर लिसानी, कसीर सकाफ़्ती मुआशरे ऐसी जबानों में मौजूद हैं जो पायदार तरीके से रिवायती इल्म और सकाफ़्त की तर्जुमानी और तहफ़्फुज करते हैं। उन्होंने मश्वरा दिया कि हमें अपनी यूनीवर्सिटियों और अपने ममालिक में मादरी जबान के तहफ़्फुज के लिए एक सेंटर शुरू करने के बारे में गौर करना चाहिए। कन्वीनर वेबीनार, प्रोफेसर सय्यद इमतियाज हसनैन, शोबा लिसानियात, एएमयू ने भी खिताब किया। प्रोफेसर मुहम्मद फारूक बख्शी, सदर शोबा उर्दू, मानो ने कार्रवाई चलाई। जबकि प्रोफेसर शकील अहमद, कन्सलटेंट, स्कूल आफ साईंसिज ने शुक्रिया अदा किया।