Top News

इल्म नहीं, नफाबखश इल्म जरूरी : मुफ़्ती असजद कासिमी


 नई दिल्ली :
मुदर्रिसा तालीम उल-कुरआन का दरगाह शाह वली अल्लाह मुहद्दिस देहलवी के करीब एक खुसूसी इजलास मुनाकिद हुआ, जिसमें बतौर मेहमाने खुसूसी अहमदाबाद के मारूफ आलमे दीन और जमई उल्मा गुजरात के रूहे रवाँ मौलाना मुफ़्ती असजद कासिमी शरीक हुए। इस मौका पर मुहतमिम मुदर्रिसा मौलाना कासिम नूरी सदर जमई उल्मा नई दिल्ली, मौलाना जिÞया अल्लाह कासिमी सीनीयर आर्गेनाईजर जमई उल्मा हिंद, मौलाना यासीन जहाजी मोतमिद शोबा दावत-ए-इसलाम दफ़्तर जमई उल्मा हिंद वगैरा ने उनका इस्तिकबाल किया। 

वही मकबूल होगा जो अदब नवाज होगा

मुफ़्ती असजद कासिमी ने इस मौका पर अपने खिताब में इल्म की नाफईयत पर गुफ़्तगु करते हुए तलबा को नसीहत की कि सिर्फ इल्म काफी नहीं बल्कि इल्म नाफे जरूरी है। उन्होंने कहा कि इल्म का मिलना अलग है और इल्म का मकबूल होना अलग है। उन्होंने कहा कि दुनिया में बहुत सारों को इल्म मिला, लेकिन वो खुद उसके लिए वबाल बन गया। इसलीए इल्म के साथ हिदायत जरूरी है। उन्होंने बताया कि इल्म मकबूल-ओ-महबूब उस बंदे का होता है, जो अदब नवाज होता है। अदब का मतलब ये नहीं है कि सिर्फ उस्ताज और वालिद का अदब किया जाए बल्कि इस रूए जमीन पर बसने वाले हर इन्सान का अदब किया जाये और उसको नुक़्सान पहचाने से बचा जाए। मुहतमिम मुदर्रिसा मौलाना कासिम नूरी साहिब ने कहा कि आज हमारे दरमियान बहुत मकबूल आलिम आए हैं, जिनका ताल्लुक खानवादा मदनी से है, जिन्होंने हजरत मौलाना महमूद मदनी साहिब से इरादत का रिश्ता कायम किया है और वो एक दीनी इदारा के मुहतमिम होने के इलावा बहुत बड़े खादिमे खल्क भी हैं। अखीर में मेहमान-ए-खोसूसी की दुआ पर मजलिस इखतेताम पजीर हुई।

Post a Comment

if you have any suggetion, please write me

और नया पुराने