फसल बर्बाद, किसान रातभर जाग कर पहरा देने पर मजबूर
पूरा नहीं हुआ गौशालय का वाअदा
वाराणसी : आईएनएस, इंडिया
यूपी हुकूमत ने हर गांव में एक गऊशाला बनाने का ऐलान किया लेकिन या तो वो तामीर नहीं हुए और जहां वो बनाए गए, वो खस्ता-हाल हैं। वजीरे आजम ने इस बारे में वाअदा भी किया था। लेकिन उन्होंने अपने वादे पर अमल नहीं किया। नतीजतन जानवर किसानों की फसलों को तबाह कर रहे हैं। किसानों के लिए इन दिनों सुबह से शाम तक एक ही काम रह गया है। इसके बावजूद मवेशियों ने एक बीघा में लगाई गई तोरई की फसल को मुकम्मल तौर पर बर्बाद कर दिया है। वाजिदपुर गांव के रहने वाले सुरेंद्र यादव ने कहा कि हमारे पास काफी मसाइल हैं। अगर आप 10 मिनट के लिए कहीं जाते हैं तो पीछे से मवेशी खेतों में घुस जाते हैं। सुरेंद्र यादव के पास पांच बीघा खेती है। उसने इंटर तक तालीम हासिल की है। शहर जा कर कुछ करना चाहते हैं लेकिन आवारा जानवरों को भगाने में ही पूरा वक़्त खत्म हो रहा है। बहुत से नौजवानों का भी यही हाल है। सुरेंद्र यादव ने कहा कि हम बनारस जा कर कोई और काम करते थे, लेकिन ऐसी सूरत-ए-हाल आ गई है कि में दिनभर अपने फार्म की निगरानी करनी पड़ती है। विमल सुरेंद्र के फार्म के करीब सब्जी उगाता है। अपने खेत को उन्होंने टीन से घेर दिया है लेकिन इसके बावजूद जानवर आ जाते हैं। किसान विमल कुमार माली ने बताया कि इस में मसला सिर्फ ये है कि दिनभर जंगली जानवर, आवारा मवेशी आते रहते हैं जो पूरी फसल बर्बाद कर देते हैं।
गौशाला जर्जर हो गया
वाराणसी हेडक्वार्टर से सिर्फ 12 किलोमीटर दूर हिरावा बलॉक के वाजिदपुर गांव में तीन साल पहले एक सरकारी गऊशाला बनाया गया था जहां अवारा मवेशियों को रखा गया था । लेकिन देखभाल न होने की वजह से वहां के 70 मवेशी मर गए। उस के बाद गऊशाला बंद कर दिया गया। वाजिदपुर हिरार्वा गांव के सरबराह निर्मल यादव ने बताया कि गोशाला की हालत बहुत खस्ता है। अदायगी वक़्त पर नहीं हुई, निगरानों के पैसे नहीं दिए गए, भूसे के पैसे भी नहीं दिए गए।
बाड़ से घेराबंदी करनी पड़ रही
अब खेतों में बाड़ लगाने का कारोबार शुरू हो गया है। एक बीघा में 1716 फुट तार लगता है। मुकामी और ब्रांडेड तारों की कीमत अलग अलग है। लेकिन किसी भी सूरत में, एक बीघा खेत को घेरने के लिए कम अज कम 10 हजार रुपए का खर्च आ जाता है। टाटा वायर डीलर संजय कुमार गुप्ता ने कहा कि गाय, नीलगई, घदरोज किसानों की फसलों को नुक़्सान पहुंचाते हैं। वो दिन में मेहनत करते हैं लेकिन रात को जानवर उनकी फसल बर्बाद कर देते हैं। इसीलिए किसान फसलों के तहफ़्फुज के लिए अपने खेतों में खारदार तारें लगाते हैं।
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